SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 536
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जन-गौरव-स्मृतियों RATE -: '. : सेठ माणकचन्दजी रामपुरिया :- आप से हीरालालजी के कनि पत्र हैं। आप विद्याप्रेमी तथा सिलनसार युवक है। जनसाधारण जीवन तथ साहित्य गोष्ठियों में आप विशेष सक्रियता से भाग लेते हैं। . रानीवाला परिवार, व्यावर [ मेसर्स चंपालाल रामस्वरूपी . आपके यहाँ का सारा व्यापारिक कारोबार मेसर्स चम्पालाल रामस्वरूप' के नाम से प्रसिद्ध है । इनका मूल निवास स्थान खुरजा ( यू० पी० ) है। सेठ माणकचन्दजी साहब के सात पुन हुए। जिनमें से सेठ प्वम्पालाल जी एक प्रतिष्ठित और सम्माननीय व्यक्ति थे। आप व्यावर के ऑनरेरी मजिस्ट्रेट एवं गर्वनमेण्ट हजरार भी रहे थे। आपके दस पुत्र हुए सेठ रामस्वरूपजी, सेठ मोती. लालजी, सेठ शान्तिलाल जी, सेठ तोतालालजी, सेठ सूत्रालालजी, सेठ सुन्दरलालजी, सेठ हीरालालजी, सेठ पन्नालालजी, सेठ गणेशीलालजी तथा सेठ जयकुमारजी। जिनमें से सबसे बड़े श्री .. ........... .............. रामस्वरूपजी ने सन् १६०६ रा. सा० श्री मोतीलालजी रानीवाला ई० में व्यावर में 'एडवर्ड मिल' की स्थापना की । जो आज दिन न केवल व्यावर बल्कि राजस्थान की वस्त्र मिलों में सबसे प्रमुख व प्रतिष्ठित है। आपका सन् १६ ६ में देहावसान हुआ । रायसाहव सेठ मोतीलालजी रानी वाला ही इस समय इस फर्म के सब कारोबार की प्रमुख रूप से देखभाल फरते हैं। इस फर्म का मुख्य व्यवसाय रूई का ही है। रा० सा० श्री मोतीलालजी रानीवाला:-आप सन् १६१६ से एडवर्ड मिल के मैनेजिंग डाईरेक्टर व चेयरमैन पद पर काम करते रहे हैं और आप . के संचालकत्व में मिल ने काफी सफलता प्राप्त की है। सौजन्यपूर्ण व्यवहार ।। समझगी व मिलनसारिता आपके प्रशंसनीय गुण हैं। ... . . . .. .. . .. ... . १५...:...: . ........',
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy