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________________ प्र के माननीय सहायक लगभग || लाख की रकम से एडवर्ड मिल का प्रारम्भ हुआ और प्रथम वर्ष में ही इस मिल ने काफी मुनाफा बतलाया। व्यावर के अलावा बम्बई श्रादि बड़े नगरों में भी आपका काम काज है। अजमेर मेरवाड़ा के कई स्थानों में व शाहपुरा, टोंक, भीलयाड़ा, कपासन सनवाड़, गंगापुर, किशनगढ़, गुलाबपुरा, तथा जयनगर (दरभंगा) घालपुर (बंगाल) व वर्दमान (बंगाल) आदि में भी श्रापका कारोबार है । इसके अलावा अपने जिले में अन्य कई छोटे बड़े उद्योगों व कम्पनियों में आपकी सहयोग है । आपका सामाजिक व धार्मिक तथा व्यावर के हरेक अच्छे काम में प्रमुख सहयोग रहता है। आपकी इस समय ५३-५४ वर्ष की उम्र है । इस परिवार में सबसे ज्येष्ठ भी इस समय श्राप ही है। आपके कुंवर प्रीतमकुमार व प्रमोदकुमार तथा श्री राजमती बाई, विमला वाई तथा प्रेमवाई ये पांच संतान है आप पन्नालाल दिगम्बर जैनपाठशाला के अध्यक्ष है। न केवल इस जिले के बल्किा सारे राजस्थान के एक प्रमुख अनुभवी व्यवसायी सज्जन है। आपकी भारत के जनसमाज में बड़ी प्रतिष्ठा है। . आप एडवर्ड मील व्यावर के मैनेजिंग डाइरेक्टर व चेयरमेन तो है: ही साथ ही हाडोती' काटन प्रेस केकड़ी व हांसी के मैनेजिंग डाईरेक्टर है। सेठ तोतारामजी : _ 'जन्म सं १६५८ | आपके कुवर सजनकुमारजी व कुंवर प्रद्युम कुमारजी दो पुत्र तथा श्री गुलाबबाईजी व कमलाबाईजी नामक दो पुत्रियां है। आप एडवर्ड मिल्स व्यावर तथा हाडोती काटन प्रेस केकड़ी व हांसी के डाईरेक्टर हैं। सेट सत्रालाली का स्वर्गवास वि.सं १६७४ आसोन माम में हुया। सेट मुन्दरलालजी-याप सेट रामस्वरूपजी के दत्तक पुत्र हैं। जन्म संवत १९६२ में हुआ। आपके कु श्री जम्यूकुमारजी कु विजय कुमार जीव कु'- विनोदकुमारजी नीन पुत्र तथा वाई गुणमालजी नामक एक पुत्री हैं श्राप भी पडवई मिल्स न्यावर के डारेक्टर हैं। श्री अलम्ब पन्नालाल दिगम्बर जैनसरस्वती भवन व्यावर, बम्बई व झालरापाटन के जनरल सेकेद्री है। . सेठ हीरालाल जी :-श्यापका जन्म मं० १९६५. विक्रमी में हश्रा । श्राप कुवर देवेन्द्रामारी, कुलवीरेन्द्रकुमारजी, कु मधुषमारजीवकुमुरेन्द्रकुमारजी "नामक चार पुत्र ३ श्री शारदाजी व सुशीलाजी नामक दो पुत्रियाँ । सेट पन्नालालजी का स्वर्गवान वि. सं. १६६ भादयागाम में प्रा। सेद गणेशीलालजी : आपका जन्म सं १६ विक्रम में प्रा श्रापले कुछ महन्द्रामारली, ७: मुशीलकुमारजी र रमेशकुमारजी तीन पुत्र व थाई. इन्दुमतिजी
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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