SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 528
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सहायक है। ५६४ ग्रन्थ के माननीय सहायक आप सन् १६४२ से ४५ तक नगर म्युनिसिपल कमेटी के चेयरमैन पद पर आसीन रहे हैं । इस अर्से में आपके द्वारा की गई जनता की सेवा चिरस्मरणीय है । आप फर्स्टक्लास आनरेरी मजिस्ट्रेट हैं। सरकारी तथा गैर सरकारी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष उपाध्यक्ष, तथा सन्मानित . सदस्य रहे हैं तथा अव भी हैं। वर्तमान में आप 'आल इण्डिया गर्ल्स गाईड' के संरक्षक, अ०भा० दिगम्बर जैनमहा सभा के सभापति 'सावित्री गर्ल्स कालेज' के उपप्रधान तथा जोधपुर प्लाईंग क्लब के आजीवन सदस्य तथा इंडियन क्लब अजमेर के चेयरमेन हैं । और भी कई शिक्षण व सार्वाजनिक संस्थाओं के परम व्यापार विकास में आपने काफी तरक्की की है। भारत के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में आपकी गिनती है । रा० ब० टीकमचन्द भागचन्द लिमिटेड के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर हैं । दी महाराजा किशनगढ़ मिल्स के चेअरमैन व मैनेजिंग डाइरेक्टर हैं । अजमेर, रतलाम, जलगांव मंदसौर की. बिजली कंपनियों के डाइरेक्टर हैं । मेवाड़ टेक्सटाइल मिल्स, दी इंडियन री कंस्ट्रक्सन कारपोरेशन लि० कानपुर तथा जोधपुर कमर्शियल बैंक आदि कई एक प्रसिद्ध उद्योगों के आप डायरेक्टर हैं। वी. बी. एण्ड सी. आई. रेलवे तथा जोधपुर रेलवे के खजांची रह चुके हैं तथा राजस्थान की जयपुर, . उदयपुर रेल्वे के आप खजांची हैं। आपकी फर्म की शाखाएँ बम्बई कलकत्ता जयपर, जोधपुर, आगरा उदयपुर, धौलपुर, भरतपुर, शाहपुरा, किशनगढ़, खण्डवा, मंदसौर, कोटा, ग्वालियर आदि भारत के लगभग २० प्रमुख नगरों के हैं जो आपही के सफल संचालन में है । जैनधर्म जैनसमाज तथा जैन तीर्थो व मंदिरों में आने वाले संकटों के अवसर पर आपके द्वारा की जाने वाली सुरक्षा के कारण आप समाज के विशिष्ट एवम् कर्मठ नेताओं में गिने जाते हैं। आप अ. भा. दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बई के उपसभापति. हैं। आपने जैन विधवाओं की सहायता के लिये ४२०००) का धौव्यफन्ड निकालकर विधवाओं के जीवन निर्वाह का सुगम एवम् अनुकरणीय मार्ग प्रस्तुत किया है। हिन्दी और जैनसाहित्य के आप अनन्य प्रेमी है । अापका निजी पुस्तकालय बहुत विशाल है। प्राचीन जैनग्रन्थों का संग्रहालय आपके यहां कई पीढियों से चल रहा है जिसमें अनेक अलभ्य जैनग्रन्य हैं। ... आपके ३ सुपुत्र हैं-प्रथम श्री प्रभाचन्द जी वी० ए० की डिग्री प्राप्त । करके आजकल महाराजा किशनगढ मिल्स का काम काज संभाल रहे हैं। श्रापको २१ वर्ष की अल्प अवस्था में महाराणा उदयपुर द्वारा केष्टिन की
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy