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________________ * जैन-गौरव-स्मृतियाँ * S साँचोर . . ( सत्यपुर मण्डन महावीर )-यह अत्यन्त प्राचीन और ऐतिहासिक स्थान है । यहाँ भगवान् महावीर की अत्यन्त प्रभावशाली मूर्ति होने के कारण यह सत्यपुर महावीर के नाम से प्रसिद्ध तीर्थ है । इस प्रतिमा का ऐसा प्रभाव कहा जाता है कि यह देवसानिध्य वाली प्रतिमा है । धनपाल ने भी लिखा है कि तुर्कों ने श्रीमाल देश, अणहिलवाड़, चन्द्रावती, सोरठ देलवाड़ा और सोमेश्वर को भंग किया परन्तु वे साँचोर के महावीर को भंग करने की कोशिस करते हुए भी. सफल न हो सके । वि० सं० १०८१ में महम्मद गजनी ने इस मूत्तिं को तोड़ने के लिए अनेक प्रयत्न किये परन्तु वह सफल न हो सका और अनिष्ट का शिकार बन गया । कहा जाता हैं कि वह प्रतिमा की अंगुलि छिन्न कर लाया परन्तु रास्ते में ही उसे मरणम्त कष्ट होने लगा अतः वह अंगुलि लेकर वापस आया और उसे यथास्थान पर रख दी । आश्चर्य है कि वह अंगुलि यथास्थान जुड़ गई। इससे वह वड़ा विस्मित हुआ और उसने फिर कभी यहाँ आनेकी इच्छा नहीं की। इस कथन में कहाँ __ तक अतिशयोक्ति है और कहाँ तक सत्य है वह स्वयमेव विचारणीय है। . __ इस महाप्रभावशाली प्रतिमा की अभिव्यक्ति का इतिहास भी चमत्कारिक बताया जाता है । नाहड़ नामक महासमद्ध राजा ने यह प्रतिमा सत्यपुर में गगन चुम्बी जिनालय बनवाकर वीर निर्वाण के ६०० वर्ष वाद प्रतिष्ठित करवाई । यह अत्यन्त प्रभाविक प्रतिमा मानी जाती है । साँचोर में पाँच जिनालय हैं। मारवाड़ की पंच तीर्थी राणकपुर-गोड़वाड़ प्रान्त की पंचतीथियों में यह प्रमुख तीर्थ है। कारीगरी और बहुमुल्यता की दृष्टि से यह मारवाड़ के समस्त प्राचीन जैन मंदिरों में सबसे श्रेष्ठ है । विक्रम की तेरहवीं चौदहवीं और सोलहवीं शतादी में राणकपुर अति उन्नत नगर.था । मेवाड़ के महाराणा कुम्भा के समय में यह नगर मेवाड़राज्य के अन्तर्गत था । यहाँ के इस प्रसिद्ध मन्दिर के निर्माता श्री धन्नाशाह और रत्नाशाह थे । इन्होंने अपने पुण्य चल से विपुल लक्ष्मी
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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