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________________ Ket जैन गौरव-स्मृतियाँ S SK कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र, न केवल जैनधर्म की अपितु अतीत भारत की भव्य विभूति हैं। भारतीय साहित्याकाश के ज्योतिर्धरों में हेमचन्द्र सचमुच चन्द्र के समान है। ये संस्कृत-प्राकृत-साहित्य संसार के सार्वभौम । चक्रवर्ती कहे जा सकते हैं। कलिकालसर्वज्ञ की उपाधि इनकी सर्वतोमुखी प्रतिभा का परिचय देने के लिए पर्याप्त है । पिटर्सन आदि पाश्चात्य विद्वानों ने इन्हें Dcean of knowledge ('ज्ञान के महासागर' ) की उपाधि से अलङ्कत किया है । साहित्य का कोई भी अंग अछूता नहीं है जिस पर इन महाप्रतिभा सम्पन्न आचार्य ने अपनी चमत्कृतिपूर्ण लेखनी न. चलाई हो.। व्याकरण, काव्य, कोष, छन्द, अलंकार, वैद्यक, धर्मशास्त्र, न्यायशास्त्र राजनीति, योगविद्या, ज्योतिप, मंत्रतन्त्र, रसायन विद्या आदि पर आपने विपुल साहित्य का निर्माण किया । कहा जाता है कि इन्होंने सादे तीन क्रोड़ श्लोकप्रमाण ग्रन्थों की रचना की थी। वर्तमान में उपलब्ध ग्रन्थों का प्रमाण. इतना नहीं है इससे प्रकट होता है कि दूसरे ग्रन्थ विलुप्त हुए होंगे । तदपि. उपलब्ध ग्रन्थों का प्रमाण भी विस्मय पैदा करने वाला है । इन आचार्य को * आज के युग के अनुरूप भाषा में 'जीवितविश्वकोप' की उपाधि दी जा सकती हैं। जीवन परिचय : . गुर्जर प्रान्त के धन्धुकाग्राम में एक मोढ वणिक् दम्पति के यहाँ सं. १९४५. कार्तिक पूर्णिमा को इनका जन्म हुआ। पिता का नाम: चाचदेव और माता का नाम चाहिनी देवी था। इनका वाल्य. नाम चंगदेव था। एक दिन आचार्य देवचन्द्रसूरि धंधुकामें आये । उनके उपदेश श्रवण हेतु चांगदेव भी अपनी माता के साथ उपाश्रय में गया । बालक के शुभलक्षणां से आचार्य ने जान लिया कि वह बालक आगे चलकर महा प्रभावक होगा अतः उन्होंने उसके माता-पिता को शासन की प्रभावना के लिए बालक को उन्हें सौंप देने के लिए समझाया। हातिरक और पुत्रप्रेम से गद्गद् होकर माता ने उस बालक को प्राचार्य श्री को सौंप दिया । आचार्य उसे लेकर खम्भात पधारे । यहाँ जैनकुल भूपण मंत्री उदयन शासन के रूप में नियुक्त थे। थोड़े समय तक वहाँ रखने के बाद सं. ११५४ में इन्हें ।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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