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________________ अनुक्रमणिका १ द्रुमपुष्पिका धर्म की वास्तविक व्याख्या सामाजिक, राष्ट्रीय तथा आध्यात्मिक दृष्टियों से उस की उपयोगिता और उसका फल-भिक्षु तथा भ्रमर जीवन की तुलना-भिक्षु की भिक्षावृत्ति सामाजिक जीवन पर भाररूप न होने का कारण । २ श्रामण्यपूर्वक वाउना एवं विकल्पों के आधीन होकर क्या साधुता की आराधना हो सकती है ? आदर्श सागी कौन ? आत्मा में बीज रूप में छिपी हुई वासनाओं से जब चित्त चचल हो उठे तब उसे रोकने के सरल एवं सफल उपाय - रथमि और राजीमती का मार्मिक प्रसंग - रथनंमि की उद्दीप्त वासना किन्तु राजीमती की निश्चलता - प्रबल प्रनोभनोंमें से रथनेमि का उद्धार • स्त्री शक्ति का ज्वलंत उदाहरण । ३ क्षुल्लकाचार भिक्षु के संयमी जीवन को सुरक्षित रखने के लिये महर्षियों द्वारा प्ररूपित चिकित्सापूर्ण ५२ निषेधात्मक नियमों का निदर्शन - अप. कारण किसी जीव को थोड़ा सा भी कष्ट न पहुंचे उस वृत्ति से जीवन निर्वाह करना • आहार शुद्धि • अपरिग्रह बुद्धि, शरीर सत्कार का त्याग • गृहस्थ के +थ अति परिचय बढाने का निषेध - अनुपयोगी वस्तुओं तथा क्रियाओं का त्याग ।
SR No.010496
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Maharaj
PublisherSthanakvasi Jain Conference
Publication Year1993
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size8 MB
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