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________________ इन प्रकाशनों के सिवाय आगमोदय समिति-सुरत, जैनधर्मप्रसारक सभा-भावनगर, अजरामर जैन विद्याशाला लींबडी तथा, पूज्यश्री अमुलखत्रापिद्वारा अनुवादित और ऋषि समिति-हैद्राबादसे प्रकाशित आदि अनेक मूलके साथ २ संस्कृत तथा हिन्दी अनुवादों सहित प्रकाशन हो चुके हैं । फिरभी हिंदी संसारमें इसका विशेष प्रचार न होने के कारण उस कमी की पूर्ति के लिये श्री हंसराज जिनागम विद्याप्रवारक फंड समिति की तरफसे यह नवीन प्रकाशन किया जा रहा है। इस ग्रंथ में भी उत्तराध्ययन सूत्रकी तरह उपयोगी टिप्पणियां देकर सूत्रका असली रहस्य सरलतासे समझा जा सके इसी दृष्टिसे अति सरल भाषा रखने और गाथाका अर्य टूटने न पावे उस अविछिन्न शैलीको निभा का यथाशक्य प्रयास किया है ___ अन्त में, यही प्रार्थना है कि इस ग्रंथमें अजानपन किंवा प्रमादसे कोई त्रुटि रह गई हो तो विद्वान सज्जन उसे हमें सूचित करने की कृपा करें जिससे आगामी संस्कार में योग्य सुधार किये जा सके। - सन्तवाल (३३)
SR No.010496
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Maharaj
PublisherSthanakvasi Jain Conference
Publication Year1993
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size8 MB
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