SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६१ ) उत्तरः दो एक फण मांडते हैं व दुसरा फण नहीं मांडते है. ( २८ ) प्रश्न: भुजपर किसको कहते हैं ? उत्तरः जो भुजा से व पेट के जोर से चलते उसको. (२९) प्रश्न: उसके कितने भेद हैं ? !. उचरः अनेक भेद हैं, जैसे कि नोल, कोल, काकीडा, उदर, खिसखोली आदि. (३०) प्रश्न: खेचर किसको कहते हैं. १ उत्तरः जो आसमान में उड़ते हैं. (३१) प्रश्नः खेचर के कितने भेद हैं. व कौन २ से? उत्तर: चार, १ चर्मपंखी २ रोमपंखी ३ विततपंखी ४ समुगपंखी. (३२) प्रश्नः चर्मपंखी किसको कहते हैं ? . 10 उत्तरः जिसकी पांखें चमड़े जैसी होती हैं जैसे कि चामाचिड़ी, वट वागुल आदि. (३३) प्रश्न: रोमपंखी किसको कहते हैं ? उत्तरः जिसकी पांखें रोम (केश) की होती हैं. जैसे कि तोता, कबूतर, चिड़ियाँ आदि. (३४) प्रश्न: विततपंखी किसको कहते हैं. 3 •
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy