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________________ (६२) उत्तरः जिसकी पांखें सदा फैली हुई रहती हैं. (३५) प्रश्नः समुगपंखी किसको कहते हैं ? उत्तरः जिसकी पांखें हमेशा बंध रहती हैं. (३६) प्रश्नः विततपंखी और समुगपंखी कभी तुम्हारे देखने में आये हैं ? उत्तरः नहीं. ये दो प्रकार के पंखी ढाई द्वीप में नहीं हैं, ढाई द्वीप के बाहर है. (३७) प्रश्नः ढाई द्वीप में कितने प्रकार के पंखी रहते हैं ? उत्तरः दो १ चर्मपंखी व २ रोमपंखी. (३८) प्रश्नः ढाई द्वीप बाहर कितने प्रकार के पंखी रहते हैं. उत्तरः चार प्रकार के..... . (३६) प्रश्नः मक्खी, भौरे को खेचर कहा जा सका है या नहीं? उत्तरः नहीं, क्योंकि वे चौरिन्द्रिय हैं व इस कारण से वे विकलेन्द्रिय गिने जाते हैं. (४०) प्रश्नः पोरे को जलचर कहा जा सकता है या नहीं ? उत्तरः पोरे दो इन्द्रिय होने से विकलेन्द्रिय गिने जाते हैं. (४१) प्रश्नः अपन जलचर हैं या स्थलचर ? उत्तरः अपन तो मनुष्य हैं व जलचर, स्थलचर __ आदि भेद तो तिर्यंच पंचेन्द्रिय के हैं.
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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