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________________ नं. ( १० ) विषय अच्छी प्रकारसे सिद्ध किया है और(देवयंचेईयं) इस का अर्थ भी दिखलाया है। ... १०६ १८ प्र०-सम्यक्त्व शल्योहार देशी भाषा पुस्तकके पृष्ट २४३ पंक्ति ४, ५ में लिखा है कि किसी कोष में भी जिन मन्दिर १ जिन प्रतिमा २ चौतरे बन्ध वृक्ष ३ इन तीनों क सिवाय और किसी वस्तु का नाम चैत्य नहीं है। उत्तर-यह लेख मिथ्या है क्योंकि चैत्य शब्द के ज्ञानादि ३६ अर्थ और भी बहुत से अर्थ लिख दिये गये हैं। ... .. ११३ २० प्र०-चैत्य शब्द का अर्थ तो आपने बहुत ठीक कहा किन्तु मूर्ति पूजन में कुछ दोष है ? उत्तर-सूत्र शाख से २ दोष सिद्ध किये हैं प्रारंभ और मिथ्यात्व २१ प्र०-महा निशीथ सूत्र में तो मन्दिर बनवाने वाले की गति बाहरवे देवलोक की कही है।
SR No.010483
Book TitleSatyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherLalameharchandra Lakshmandas Shravak
Publication Year
Total Pages229
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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