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________________ (2) नं० विषय १५ प्र०-उपासक दशाङ्गमें आनन्दादि श्रावकों ने मूर्ति पूजी है। उत्तर - यह सव कहना मिथ्या हे सूत्र पाठ अर्थ से यह सिद्ध नहीं होता, ऐसा सिद्ध किया है । १६ प्र० - ज्ञाता सूत्र मे द्रौपदी ने तीर्थंकर देवकी मूर्ति पूजी है ? पृष्ठ उत्तर—यह भी मिथ्या है सूत्रानुसार चार कारणों से उक्त कथनको मिथ्या सिद्ध किया है। ६० १० प्र०—भगवती जी में जघाचरण मुनियों ने मूर्ति पूजी है । १८ प्र० - भगवती जी में चमर इन्द्र ने मूर्ति का शरण लिया लिखा है ? ८७. उत्तर - यहभी कहना मिथ्या है क्योंकि इन्हों ने मूर्ति नहीं पूजी यह सूत्र के प्रमाण से सिद्ध किया है। १०१ उत्तर -- भगवती में तो कहीं मूर्ति का शरण लिया. नहीं लिखा है, तुम्हारा कहना भूल है यह
SR No.010483
Book TitleSatyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherLalameharchandra Lakshmandas Shravak
Publication Year
Total Pages229
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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