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________________ भिक्षुशब्दानुशासन का तुलनात्मक अध्ययन १८३ उ५+३द्र = उपेन्द्र (गुण) देव+ऐश्वर्यम् =देवश्वर्यम् (वृद्धि) कृष्ण | ऋद्धि =कृष्णा (गुण) तव | लकार =तवलकार (गुण) प्र | ऋच्छति -प्रार्छति (वृद्धि) प्र+लकारीयति =प्राकारीयति (वृद्धि) (पाणिनि) भिक्षुशब्दानुशासन मे "अवर्णस्यवदावेदोदरल" ११७।२३ इस सूत्र के द्वारा अवर्ण के आगे इ, उ, ऋ और ल के रहने पर पूर्व और पर के स्थान पर क्रमश ए, ओ, अर् और अल् आदेश होता है। इस पद्धति से भी उपर्युक्त रूपो की सिद्धि की जाती है। इतना अवश्य है कि पाणिनि मे जहाँ गुण सकेत से कार्य किया जाता है, वहाँ भिक्षुशब्दानुशासन विधेयो का साक्षात् उल्लेख करके कार्य कर रहा है। यहां कुछ गौरव तो अवश्य है, पर प्रक्रिया ज्ञान मे लाधव भी है। इसी प्रकार वृद्धि विधान के द्वारा पाणिनि ने जिन रूपी की सिद्धि की है, उनके लिए भिक्षुशब्दानुशासन मे एदतारत् ११२।१६ ओदीतोरीत् १।२।२२ अवर्ण के आगे ए रहने पर ऐ तथा ओ रहने पर औ होता है। रूप सिद्धि तो वही होगी, जो पाणिनि मे हुई है किन्तु जैसी जैसी वृद्धि करनी होगी, वैसे से नाना सूत्र यहाँ वनाने पड़ेंगे। यह यहाँ का एक गौरव है । वृद्धि कही तो पूर्व पर के स्थान पर होती है यथा "तवैषा"। कही आदि अच् के स्थान पर होती है जैसे सीमिति । इसमे सन्देह नही कि ऐसे विभिन्न स्थलो के लिये भिक्षुशब्दानुशासन मे विभिन्न सूत्र अपेक्षित हो। फिर भी अलग अलग विधियो का विधान प्रक्रिया सारल्य मे उपयोगी तो होगा ही। गुण वृद्धि संज्ञा न करके लक्ष्य मे सीधे आदेश का विधान जनेन्द्र और शाकटायन की देन है । जनेन्द्र ने गुण करने के लिये "आदेप्" ४।३।७५ सूत्र बनाया है। इसका अर्थ है 'अवर्ण के आगे अच् रहे तो एक आदेश होता है। उदाहरण के रूप मे यहाँ 'देवेन्द्र ' तथा गन्धोदकम्' ये प्रयोग प्रस्तुत किये गये है। जनेन्द्र ने एच्य५ ४।३।७६ सूत्र बनाया है। अवर्णान्त से एच् पर मे रहने पर दोनो के स्थान पर एक ऐप होता है। महा +-औपचम् = महौषधम् ।। यह उदाहरण रूप मे दिया गया है। शाकटायन ने भी जैनेन्द्र की प्रणाली का अनुसरण कर गुण विधान के लिये इक्येडर ११११८२ तथा वृद्धि करने के लिए 'एजूच्यच् ॥११११८३ सून
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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