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________________ नः .. विषयाः पृष्टांकाः २० नमूना देखके नाम याद आता है ... ... ८९ २१ नमो बंभीए लिवीए इसपाठका अर्थ' . .... ९४. जंघाचारणविद्याचारण साधुओंनेजिनप्रतिमावांदी है ९७ २३ आनंद श्रावकने जिनप्रतिमा वांदी है ... १०६ २४ अंबड श्रावकने जिनप्रतिमा वांदी है .. ११६ २५ सांतक्षेत्रमें धन खरचना कहा है .... ... १२० २६, द्रौपदीने जिनप्रतिमा पूजी है ... ... १२८ २७ सूर्याभने तथा विजयपोलीएने जिनप्रतिमा पूजी है १४८ २८ देवता जिनेश्वरकी दाढा पूजते हैं ... ..... १७१ २९ - 'चित्रामकी मूर्ति नहीं देखनी चाहिये इसबाबत' १३ . ३० जिनमंदिर करानेसे ताजिनप्रतिमा.भरानेसे १२वें । देवलोक जावे ..... ... ... ... १८६ ३१ श्रीनंदिसूत्रमें सर्व सूत्रोंकी नोंध है १९४ साधु या श्रावक श्रीजिनमंदिर न जावे तो दंड आवे "इसबाबत श्रीमहाकल्पसूत्रके पाठ सहितवर्णन, १९७ ३३ जेठमल्लके लिखे ८५ प्रश्नोंके उत्तर .... २०३ ३४ "दूढियोंकों कितनेक प्रश्न ..... ....' २२२ "सूत्रोंमें श्रावकोंने जिनपूजाकरी कहाँ है इसबाबत २२५ ३६ सावध करणी बाबत ... ... ... २३० ३७ द्रव्यनिक्षेपा वंदनीक है ... .... २३५, ३८ स्थापना निक्षेपा वंदनीक है . .... .... २३६ ३९ शासनके प्रत्यनीकको शिक्षादेनी ........ २३८
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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