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________________ पहला बोल-१२१ थे । ऐसी स्थिति मे किसे पापी और किसे धर्मी कहना चाहिये ? तुम सीता को ही दृढधर्मी कहोगे, लेकिन तुम अपने विपय में भी विचार करो कि तुम क्या कर रहे हो ? आज और-और बातो से तुम भले ही विचलित न होते होओ, मगर धर्म से तो पहले ही विचलित हो जाते हो। एक कवि ने कहा है सीता के पास दियासलाई नही थी, अन्यथा वह रावण के पास दुख न भोगती । सीता जल मरने के लिये आग चाहती थी परन्तु उसे आग नहीं मिली और इसी कारण उसे कष्ट भोगने पडे । आज तो दियासलाई का प्रचार हो गया है, उस समय नहीं हुआ था। इस कारण सोता का जमाना खराब था या आजकल का जमाना खराब है ? पहले के लोग घर में आग रखते थे और आग सुलगाने के लिये चकमक रखते थे। मगर आज दियासलाई का प्रचार हो गया है। यह बात दृष्टि मे रखकर किस जमाने को अच्छा कहना चाहिये ? अर्थात् पहले का जमाना अच्छा था या आज का जमाना ? अगर सीता को दियासलाई मिल जाती और उससे आग लगाकर वह जल मरती तो उसका वह महत्व जो आज है, न रह जाता । अतएव सीता के पास दियासलाई न होना अच्छा हुआ या बुरा ? अगर इसे अच्छा समझते हो तो मानना चाहिये कि जिस जमाने मे दियासलाई नही थी, वह जमाना खराब नही था । अब जरा इस जमाने की तरफ देखो कि यह कैसा है ? आज तुम नई-नई चीजों पर मुग्ध वन रहे हो परन्तु इनके द्वारा तुम्हारे चरित्र का रक्षण हो रहा है या भक्षण, यह भी तो देखो ! आज लोग नवीन चीजो के प्रलोभन मे
SR No.010462
Book TitleSamyaktva Parakram 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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