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________________ ...... ME पंचास्तिकाय संग्रह ) [ श्रीमद् कुन्दकुन्दाचार्य देव कृत ] पृष्ठ ३१५ मूल्य ४-५० __ श्री सेठी दि० जैन ग्रन्थमाला द्वारा प्रकाशितं यह शास्त्र संस्कृत टीका तथा हिन्दी अनुवाद सहित है। सर्वज्ञ वीतराग कथित छह द्रव्य, नव पदार्थ, सात तत्त्व, मोक्षमार्ग तथा निश्चय-व्यवहार का स्वरूप दर्शाने वाला सुगम और उत्तम शैली का शाख है। प्राचीन हस्तलिखित प्रतियों को एकत्र करके पांच साल तक अति परिश्रम द्वारा सं० टीका का अक्षरशः अनुवाद प्रथम बार ही तैय्यार हुआ है। टीका के नीचे कठिन विषयों पर अच्छा प्रकाश डालने वाली विस्तृतं फुटनोट भी दी गई है। सर्व प्रकार से मनोज्ञ महान ग्रन्थ होने पर भी मूल्य ४-५० व थोक लेने पर कमीशन २५% दिया जावेगा। दश लक्षण धर्म (प्रवचन) पृष्ठ ६५ दूसरी प्रावृत्ति मूल्य ०-५३ जिसमें उत्तम क्षमादि धर्मों के ऊपर विवेचन है। निश्चय-व्यवहार धर्म कब और कैसे होता है ? यथार्थ भाव भासन पूर्वक प्रात्मिक शांतिस्वतंत्रता का स्वाद लेनेके लिये इसे अवश्य पढ़िये। छहढाला पृष्ठ १६१ * मूल्य ०-८१ (स्व० दौलतरामजी कृत) जिसमें रोचक ढंग से प्रात्महित का स्वरूप बताया है और गागर में सागर समान जैन तत्त्वज्ञान भरा है । बालक को भी समझने में सुगम हो, ऐसी शैली है। खास मनन करने योग्य है और जिज्ञासुनों में बांटने योग्य है। थोक लेने पर-कमीशन २५ प्रतिशत । ( सेठी ग्रन्थमाला से प्रकाशित )
SR No.010461
Book TitleSamyag Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanjiswami
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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