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मृत्यु
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___ जहेह सीहो य मिगं गहाय,
___ मच्चू नरं नेइ हु अन्तकाले। न तस्स माया व पिता य भाया, कालम्मि तम्मं सहरा भवन्ति ॥३॥
[उत्त० अ० १३, गा० २२] जैसे इस लोक मे सिंह मृग को पकड कर ले जाता है, उसी प्रकार मृत्यु अन्त समय मे मनुष्य को पकड़ कर परलोक में ले जाती है। उस समय उसके माता, पिता, भ्राता आदि कोई भी सहायक नहीं हो सकते। इह जीविए राय असासयम्मि,
धणियं तु पुण्णाई अकुबमाणो । से सोयई मच्चुमुहोवणीए, धम्मं अकाऊण परंमि लोऐ ॥४॥
[उ० अ० १३, गा० २१] हे राजन् ! इस अशाश्वत जीवन मे पुण्य को न करनेवाला जीव मृत्यु के मुख मे पहुंचकर सोच करता है और धर्म को न करनेवाला जीव परलोक मे जा कर सोच करता है। जस्सत्थि मच्चूणा सक्खं, जस्स वऽस्थि पलायणं । जो जाणे न मरिस्सामि, सोहु कखे सुए सिया ॥५॥
[उत्त० अ० १४, गा० २७]