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कुशिष्य ]
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सीधे-साधे घोडे पर सवारी करनेवाला सवार जिस तरह आनन्द पाता है, वैसे ही पण्डितों पर अनुशासन रखनेवाला आचार्य आनन्दित होता है । जैसे अडियल घोड़े पर सवारी करनेवाला सवार कष्ट भोगता है, वैसे ही मूर्ख शिष्यो पर अनुशासन रखनेवाला आचार्य कष्ट का भागी बनता है ।