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कुशिष्य] -
[२८९ एगो पडइ पासेणं, निवेसइ निवजई ।
उक्कुद्दई उप्फिडई, सढे बालगवी वए ॥४॥ कोई अडियल बैल एक तरफ भूमि पर गिर पडता है, कोई बैठ जाता है, कोई सो जाता है, कोई उछलता है, कोई कूदता है, तो कोई तरुण गाय के पीछे भागने लग जाता है।
माई मुद्धेण पडई, कुद्धे गच्छइ पडिप्पहं । मपलक्खेण चिट्ठई, वेगेण य पहावई ॥॥ कोई कपट कर सिर झुकाकर गिर पडता है, कोई गुस्से हो पीछे भागने लगता है, कोई मृत लक्षण से खडा रहता है, तो कोई पूंछ उठाकर बेग से भागता है।
छिन्नाले छिन्दई सेल्लि, दुद्दन्ते भजइ जुगं ।
सेवि य सुस्सुयाइत्ता, उजहित्ता पलायई ॥६॥ कोई अडियल बैल नासिका-रज्जु (नथ) को तोड़ देता है, कोई निरकुश बनकर जुए को तोड डालता है, तो कोई सूं-सू की आवाज निकालता गाडी को ले भाग जाता है।
खलुंका जारिसा जोजा, दुस्सीसा वि हु तारिसा । जोइया धम्मजाणम्मि, भज्जन्ती धिइदुब्बला ॥७॥ ऐसे अडियल बैलो को गाडी मे जोडने पर जो स्थिति होती है, वही स्थिति धर्मरूपी वाहन मे कुशिष्यो को जोतने से होती है।