________________
ससारी जीवों का स्वरूप] किस प्रकार पहचाना जाय, इसका समुचित उत्तर जीवविचार प्रकरण की निम्न गाथा में दिया गया है :
गूढसिरसधिपव्वं, समभग महीरुगं च छिन्नरुह ।
साहारणं सरीर, तव्विवरिअ च पत्तय ॥ १२ ॥ जिसके भुट्टा, शिराएं और प्रन्थियाँ आदि गुप्त हो, जिसके टूटने से समान भाग हो तथा तन्तु आदि न निकले, साथ ही जिसे काट कर पुनः उगाया जाय तो उग जाय, उसे साधारण वनस्पति जानना, तथा इससे विपरीत लक्षणवाली हो उसे प्रत्येक वनस्पति समझना।
प्रत्येक वनस्पति के अनेक प्रकार हैं। जैसे कि :१ : वृक्ष-आम, नीम आदि । २: गुच्छ-बैगन (वैताकडी ) आदि । ३ : गुल्म-नवमल्लिका आदि। ४: लता-चम्पकलता आदि । ५ वल्ली-कुष्माण्ड, तुरई आदि । ६. तृण-घास। ७: वलय-वलयाकृतिवाली विशिष्ट वनस्पति । ८: पर्वजगन्ना आदि पर्व (गांठ) वाली वनस्पति । ६ : कूहण-भूमि को फोड़कर निकलनेवाली वनस्पति । १० : जलरुह-जल मे उगनेवाले-कमल आदि । ११ : औषधि-धान्यवर्ग, गेहूं आदि । १२ : हरित-भाजी, पत्तियाँ ।