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________________ करी, स १९९५ मा कराडमा विराजमान पूज्य- साथै यात्रा करवा निकळेला ते भाग्यशाली पादनी पुनीत निथामा हु तथा पू प श्री सुवुद्ध जीवोने स्व-जन स्नेहीजनोने आवो महान् लाभ वि म आदि आव्या त्यानो उपधान तप माला- प्राप्त कराववा द्वारा तेमनो उत्साह ने साचु हित रोपण महोत्सव पूर्ण थया पछी, स १९९४ मा । करवानो अवसर मळे छे यात्रा स्थळोमा श्री पू परमगुरुदेव नी निथामा वडुथवाला हिराचद । जिनमदिरादि जीर्ण होय तो तेना जीर्णोद्धारादि मनोहरदासना सुपुत्रो अने पुनावाला मोहनलाल कराववानी भावना थता जीर्णोद्धारनो पण महान दौलतराम पेथापूरवाळा तरफथी कराडथी कुभो- लाभ मळे छे जैन शासननी प्रभावना तीर्थजगिरीनो अभूतपूर्व छऽरी पाळतो जे सघ यात्रा द्वारा विस्तरे छे ने थावक सघना वार्षिक निकळयो हतो, तेनी गुरुदेवना वरदहस्ते वे सघ- ११ कर्तव्योग ११ कर्तव्योमा यात्राविक नामना कर्तव्यमा पतिओ तथा देवद्रव्यनी वृद्धि खातर उछामणि तीर्थयात्रारूप जिनेश्वर देवोओ फरमावेल सत्कृवोलीने कोल्हापूरवाळा हिन्दुमल जितराजजी त्यनी आराधना थाय छे आ रीते तीर्थयात्रा राठोडे तीर्थमाळ पहेरी हती, एवा कुभोजगिरी करवा कराववाद्वारा देव-देवेद्र, चक्रवर्तीपणानी तीर्थनी यात्रा निमित्ते अमोजे कराडथी प्रयाण ऋद्धि प्राप्त करवान महान पूण्यानबधी पूण्य ते कर्यु कुमोजगिरी तीर्थना दर्शन थताज अमो। भाविको उपार्जन करे छे, यावत् तीर्थकर नाम खवज आत्मिक आनदमय बन्या कर्मने पण चढता परिणामे वाधे छे तेथीज वर्त मान अवसर्पिणी कालमा आद्यतीर्थप्रवर्तक चतुर्विध श्री सधने तीर्थयात्रा ए परम आलवन छे तीर्थयात्राना लाभो अपार छे आरभाणा निवृत्ति द्रविण सफलता, सघवात्सल्य मुच्चै मल्य दर्शनस्य, प्रणयिजनहित जीर्णचैत्यादि कृत्यम् । तीर्थोन्नत्यच सम्यग् जिनवचनकृतिम्तीर्थसत्कर्मकत्व सिद्धेरासन्नभाव सुरनरपदवी तीर्थयात्रा फलानि ।। MA यात्रा करनार भाविको नीर्थयात्रामा पोतानो समय जे रीते व्यतीत करे छे ते दरम्यान ससारना समग्र पापारभोथी तेओ निवत्त वने छे तमनी पुण्यानुवधी पुण्याईनी मपत्तिनो ते यात्रा द्वारा मदुपयोग थाय छ तीर्थयात्रा नीटनारने यात्रा दरम्यान तेमज यात्राना स्थलोमा श्री चतुर्विध सघनी भक्तिनो सुदर लाभ मळे छे तीर्थयात्रामा श्री जिनेश्वर भगवतना दर्शनथी ने उत्तम प्रकारनी भावनाथी तेमना सम्यग्दननी निर्मलता प्रगटे छे पोताना परिवारना ले पू पन्यासप्रवर श्री कनकविजयजी गणीवर (सवत २०२५) श्री कुंभोजगिरी शताब्दि महोत्सव ]
SR No.010457
Book TitleKumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
PublisherKumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publication Year1970
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size3 MB
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