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________________ (१५१) एक वेश्याले चली मोल सासन देव विप्ती टारीजी।। कोइ सेठजी ले गया मोल पुत्रीकर राखी । महाराज सेठानी जंग मचायो जी। म्हारे छाती उपर शोक सेठ या मोल ले आयाजी।। एक दिन देख अवसर रॉडियो मांथो। महाराज लोह मयी बन्धन वान्धीजी ॥ हुइ ॥३॥ यादी भोयराम डाल तालो जड सेंठो । __ महाराज तीन दिन तेलो ठायो जी। फिर आया सेठ तत्काल सतीको कष्ट मिटायो जी॥ यह खूणे छाजले उडद वाकला लीधा । महाराज देहली उपर बेठी जी। फेर भावे भावना चित संत कोइ आवेतो लेसीजी। श्री महावीर महाराज अविग्रह कीधो । महाराज जोग मिल्या ले अन्न पानीजी ।। हुइ ॥१॥ यह सिद्धार्थ नंद आनन्दे आवता देख्या ।
SR No.010456
Book TitleJain Subodh Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
Publication Year1913
Total Pages221
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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