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________________ प्राकृतपद्यानुकमणी २३ - -- भ श्रवा पाहि च वियपि- वसु० सा० ४६० अहवोत्तरइ देसु तिलो० ५० ३-१४६ अहवा णिय वढत्त भावस० ५८१ अह सत्तू पावेहि श्रायः ति०७-३ अहवा णिलाउदेसे यसु० सा० ४६६ अह सयमप्या परिणमदि समय० १२४ अहवा तण्हादिपरी- भ० श्रारा० १५०१ । अह सयमेव हि परिणदि समय० ११६ अह्वा तरुणी महिला भावस० ५८४ अह संति-कथु-अर-जिण- तिलो०प० ४-१२८२ अहवा तल्लिच्छाई भ० श्रारा० १२६३ अह सम्मारत्थाण समय० ६३ अहवा तिगुणियमझिम- तिलो० ५० ५-२४४ अह सावसेसकम्मा भ० श्रारा० १६३० अहवा दसणणाणञ्च- भ० भारा० १६७ अह साहियाण ककी तिलो० ५० ४-१५०६ अहवा दुक्खप्पमुह तिलो०प०४-१०८५ अह सुट्टिय सयलजग सि- पंचस० ५--५०१ अहवा दुक्खप्पहुदि तिलो० प० ४-१०८१ श्रायति०१३-६ अहवा दुक्खप्पहुदि तिलो. प०४-१०७६ | अह सो सुरिंदहत्थी जंबू० प० ४-२१६ अहवा दुक्खादीणं तिलो० प० ४-१०८३ अह सोह (इ) पच्छिमाओ श्राय० ति० १३-५ अहवा देवो होदि हु कत्ति० अणु० २६८ अह हरु पुहु हु अहव हरि सुप्प० दो० ५७ तिलो०प०४-१६६८ अह होइ सव्वसरिओ श्राय० ति० ११-८ अहवा पढमे पक्खे छेदपि०२३२ | अह होदि सीलजुत्तो कत्ति० अणु० ३६४ अहवा पयत्त-अपयत्त छेदपिं० १६ | अहिधूमिए कुसीला श्रायः ति०१-४ अहवा पसिद्धवयणं भावस० ५६ अहिधूमिएसु मंदं श्राय० ति० १०-२१ अहवा बहुभेयगय तिलो० प० १-१४ अहिधूमिय पावजुया श्राय० ति०१३-४ अहवा बहुवाहीहिं तिलो० प० ४-१०७३ | अहिमतिऊण देहं रिट्टस० ८६ अहवा वभसरूव कत्ति० अणु० २३४ अहिमंतिउरण सुत्तं रिट्ठस० ६३ अवा मरणसि मज्झ समय० ३४१ अहिमंतिय मतेण रिस० १५० अहवा मग सोक्वं तिलो० प० १-१५ अहिमंतिय सयवारं रिदृस० १५२ अहवा रु तिलो० प०६-१० अहिमारएण णिवदिम्मि- भ० श्रारा० २०७५ अहवा वत्थुसहायो भावसं० ३७३ अहिमुहणियमियबोहण- प. जंबू० १३-५६ अहवावलिगदवरठिदि- लद्विसा० ६५ गो० जी०३०५ अहवा वासणदो यं दव्वस० णय० ४४ अहिमुहणियमियबोहण- पंचसं०१-१२१ अहवा वीरे सिद्धे तिलो० ५० ४-१४६५ अहिमुहणियमियबोहण- कम्मप० ३७ अहवा समक्ख-असमक्ख- छेदपि० ४४ अहिमुहवकतुरियगो श्राय० ति०२-१० अहवा समाधिहेतु भ. श्रारा० ७०८ अहियंकादडवीसं तिलो० सा० ४३१ अहवा सयबुद्धीए भ० श्रारा० ८२५ | अहियागमणणिमित्तं गो० क० ६५० अहवा सरीरसेजा भ० श्रारा० १६६ | अहियारो पाहुडयं गो० जी० ३४० अहवा ससहरबिंब तिलो० ५०७-२१६ अहिवल्लि माघनन्दि य णदी० पट्टा १६ अहवा सिद्धे सद्दे णयच० ४१ | अहिसिरमंडवभूमी तिलो०प०४-८५० अहवा सिद्धे सद्द दव्वस० गय० २१३ अहिसेयपट्टसाला जबू० प०१-३३ अहवा सो परमप्पो धम्मर. ६ अहिसेयफलेण णरो वसु० सा० ४६१ अहवा होइ विणासो भ० श्रारा० ११५४ | अहिसेहगिह देवा धम्मर० १७० अह विकिरियो ग्इओ भातसं० २२० | अहिंसादीणि उत्ताणि चारि० भ० ५ अह विएणविंति मंती तिलो०प० ४-१५२१ | अहो धम्ममहोधम्म कल्लाणा०५३ अह वि दुलदा लदा वि य जबू० प० १३-१४ अंकमुहसंठिदाई जबू०प०११-१० अह वेदगसद्दिट्ठी चसु० सा० ५१६ | अंक अंकपहं मणि- तिलो०प०५-१२३
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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