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________________ PP पुगतन-जैनवाक्य-सूची अह गुणपज्जयवंतं दव्वस० णय० २७० । अहमिक्को खलु सुद्धो समय० ३८ अह घर करि दाणेण सहुँ सुप्प. दो० ५ | अहमिक्को ग्यलु सुद्धो समय०७३ अह चुलसीदी पल्लट्ठ- तिलो० ५० ६-८६ ग्रहमिदा जह देवा गो० जी० १६३ अह छुहिज्ण सूअरं (१) भावस० २२५ | अहमिंदा जह देवा ' पचसं० १-६५ अह जइ सत्तिविहीणो छेदपि १७६ अहमिंदा जे देवा तिलो०प०४-७०७ अह जाणो उ भावो समय, ३४४ अहमिदा वि य देवा जवृ० प०४-२७१ अह जीए संधीए रिहस० १ अहमीसजुत्तदिट्टे थाय० ति० १८-२१ अह जीवो पयडी तह समय० ३३० दबस० णय० ३६३ अह जो जस्स य भत्तो रिहस० ११६ अहमेक्को खलु सुद्धो तिलो० प०६-२६ अह ढिंकुलियामाणं भावम० ३८६ अहमेदं एदमहं समय०२० अह ण पयडीण जीवो समय० ३३१ अहरणहा तह दसरणा रिट्टस० २७ अह णियणियणयरेसु तिलो० ५० ५-१३६८ अह राजइ उत्तर सर- श्रायः ति० १४३ अह णीराओ देहो कत्ति० अणु० ५२ / अह लहइ अजवंतं कत्ति० श्रगु० २६१ अह णोराओ होदि हु कत्ति० अणु० २६३ अहव फुड(ड) फुलिगेहि रिट्टस०६० अह तिरियउड्ढलोए भ० श्रारा० १७१४ । अब मयंकविहीरणं रिट्टस० ६६ अह तिरियउड्ढलोए जवृ० प०१३-१५३ | अहव मुणतो छंबई भावसं० ६०७ अह तिव्ववेयणाए श्रारा० सा० ४२ | अहव सुदिपाणय से भ० श्रारा०४४५ अह तीसकोडिलक्खे तिलो० प०४-५५४ अहवा अप्पं आसा- ० श्रारा० १२६० अह तेउपउमसुक्कं भ० श्रारा० १९२३ अहवा आगम-गोआ- वसु० सा० ४५० अह तेव वट्ट तत्तं वसु० सा० १३६ अहवा अ वसु० सा०४७७ अह थीणगिद्धि-णिद्दा कम्मप० ४८ अहवा आणदजुगले तिलो. प० -१८५ अह दक्खिणभाएणं तिलो. ५० ४-१३५८ अहवा आदिममभिम- तिलो० ५० ५-२४३ अह दक्विणभाएणं तिलो. प० ४-१३५४ अहवा आयामे पुण जवृ० ५० ५-६ अह दे अएणो कोहो समय० ११५ | अहवा इच्छागुरिणद तिलो० प० ४-२०३३ श्रह देसो सम्भावे सम्मइ. १-३७ | अहवा एय वयणं भावस० ६६ अह धणसहिओ होदि कत्ति० अणु० २६२ / अहवा एसो जीवो समय० ३२६ अह पउमचक्कवट्टी तिलो. प० ४-१२८३ | अहवा एसो धम्मो भावस० ४१ अह पडिकमणं ण सुयं छेदपि ११३ अवा कारणभूदा दव्वस० गय० १६५ अह पंचमवेदीओ तिलो० ५० ४-८६२ | अहवा किं कुणइ पुरा- वसु० सा० १६६ अह पिच्छइ णियछायं रिस० ७६ | अहवा खिप्प उ सेहा । भावस० ४३५ अह पुण अप्पा ण वि मुणहि जोगसा. १५ / अहवा गिरिवरिसाणं तिलो० ५० ४-१७४६ अह पुण अप्पा णिच्छदि भावपा० ८४ अहवा चारित्तारा भ० श्रारा०८ अह पुण छाप्पा णिच्छदि सुत्तपा० १५ अहवा जत्ताजत्ते छेदस० १४ अह पुरण पुव्वपयुत्तो सम्मइ० २-३६ अहवा जइ असमत्थो भावस० ४६२ अह भरहप्पमुहाणं तिलो० प० ४-१३०१ / अवा जइ कलसहियो भावस० २३६ अह भजइ परमहिलं वसु० सा० ११८ अहवा जइ भणइ इयं भावसं० २४६ अह मज्झिमम्मि आए प्राय० ति० १८-२५ अहवा जह कहव पुणो भावसं० १६४ अह महमहंति णिज्जइ जंवृ० प० ६-११० अहवा जं उम्भावेदि भ० श्रारा० ८२७ अह माणिपुण्णसेलम- तिलो० प० ६-४२ ) अहवा जिणागमं पुत्थ- वसु० सा० ३६२ अह माणिपुरणसेलम- तिलो० सा० २६५ । अहवा णादाराणं श्रगप०१-४४
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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