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________________ गुजरातका इतिहास। [ १६५ गुर्जरवंश-(५८०-८०८) वल्लभी और चालुक्य वंशका जब महत्व गुजरातमें था तब एक छोटा गुर्जर राज्य भरुचके पास राज्य करता था । संस्कृतके ९ ताम्रपत्र मिले हैं Ind. Ant. v. VII. XIII. XVII ). इनकी राज्यधानी नान्दीपुरी या नांदोद थी जो रानपीपला राज्यमें है। भरुचसे पूर्व ३५ मील । इनकी उपाधि " समधिगत पंचमहाशब्द " थी अर्थात् जिन्होंने पांच पद प्राप्त किये थे। इनका राज्यवंश। (१) दद्दा प्रथम-(सन् ५८०-६०५) (२) जयभट्ट प्रथम-(६०५-६२०) (३) दद्दा हि० -(६२० - ६५०) (४) जयभट्ट हि०-(६५०-६७५) (५) दद्दा ४०-(६७५-७००) (६) जयभट्ट तृ०-(७०४-७३४) खेडाके दान पात्रोंमें दवा प्रथमके पुत्र जयभट्ट प्रथमको विनयी और धर्मात्मा राना लिखा है तथा उसकी उपाधिमें वीतराग शब्द है । उसके पुत्र दद्दा हि० की उपाधि प्रशांतराग थी इसने दो दान किये थे । (Ini. Ant. III). इन दानोंमें है कि नंबूमर और भरुचके कुछ ब्राह्मगोंको अकृरेश्वर (अंकलेश्वर) तालुकामें सिरोशपदक (या मिमोद्रा) ग्राम दान किया गया था। ७०४-५के दानपत्र (In!. Ant VIII ) में दद्दाके सम्बन्धमें लिखा है कि उसने बल्लभीके राजाकी रक्षा की थी निसको प्रसिद्ध हर्षदेवने हरा दिया था। यह वही हर्ष है जो कन्नो
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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