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________________ १६४ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। ई० ६३४ तक लाड़, मालवा, और गुर्नरके राजा पुलकेशी द्वि. के आधीन हो गए थे। दक्षिण गुजरातमें चालुक्य राज्यकी बराबर स्थिति पुलकेशी द्वि० के पुत्र धाराश्रय जयसिंह वर्मनने--जो विक्रमादित्य सत्याश्रय ( ६७०-६८० ) का छोटा भाई था-की थी। नौसारीमें जयसिंह वर्मनके पुत्र शिलादित्यके दानका लेख मिला है जिसमें लिखा है कि जयसिंह वर्मनने अपने भाईसे राज्य पाया । (१) जयसिंह वर्मन परम भट्टारक ( ६६६-६९३ ) यह स्वतंत्र राजा था । इसके पांच पुत्र नौमारीमें राज्य करते थे। इसके एक पुत्र श्राश्रयने एक दान किया था निमका लेख सरनमें मिला है। इससे प्रगट है कि ६९१ में जयसिंह अपने पुत्र युवराजके माथ राज्यकर रहा था। (२) मंगलरान-पुत्र जयसिंहका (६९ ८. ७३१) (३) पुलकेशी जनाश्रय-मंगलराजका छोटा भाई बलमरमें विनयदित्य मंगलरान (७३-७३८) व नीमारी पुलकेशी जनाश्रय (मन ७३८) के लेख मिले हैं। पुलकेशी जनाश्रयके ममयमें अब खलीफा हासमने हमला कर काट दिया था। इस वंशका नाश राष्ट्रवाटवंगकी गुजगत शाखाने किया नो सन् १७५७-५८में गुजरातमें राज्य कर रही थी। जयसिंहके पुत्र बुद्धवर्मनने केगमें व तीमरे पुत्र नागवईनने पशिम नाशिकमें राज्य किया ।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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