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________________ १६६] मुंबईप्रान्तके प्राचान जैन स्मारक। जमें ६०७-८ में राज्य करता था । पुलकेशी द्वि०ने सन् ६३४ में नर्मदापर हर्षको विजय किया था। दहा तृको बाइसहायकहते थे । जयभट्ट तृ० को महासामंताधिपति कहते थे। इसके समय में अरब लोगोंने हमला किया था जिसको नौसारीपर युद्ध करके पुलकेशी जनाश्रयने परास्त किया था। ७३४ के पीछे इनका पता नहीं चलता है। (सं० नोट) इस वंशके राजाओंकी वीतराग आदिकी उपाघिसे अनुमान होता है कि शायद इस वंशके राना जेनी हों। राष्ट्रकूटवंश-गुजरातमें ये लोग दक्षिणसे सन ७४३ में आए। ये अपनेको चंद्रवंशी या यदुवंशी कहते हैं। इनका मुख्यस्थान मान्यखेड (मलखेड) है जो शोलापुरसे दक्षिण पूर्व ६० मील है। इनका सबसे प्राचीन शिलालेख सन् ४५० का मिला है, जिस समय राजा अभिमन्यु राज्य करते हैं उसमें चार राजा दिये हुए हैं। मानान्केर देवराज भविष्य अभिमन्यु
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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