SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७२ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। महान राष्ट्रकूट वंशके दो प्राचीन राजाओंका वर्णन है अर्थात् दंतिवर्मा और इन्द्रराजका जो सातवीं शताब्दिके प्रारम्भमें जरूर राज्य करते होंगे इसमें वंशावली दी है जिसमें नाम है, गोविंद प्रथम, कर्क, इन्द्र. दंतिदुर्गा । दंतिदुगोने पश्चिमीय चालुक्य राजा कीर्तिवर्मा हि को अपने अधिकारमें किया था तथा और भी राजाओंको विजय किया था इससे इसका नाम वल्लभ प्रसिद्ध था। इस राजाके प्रथम मंत्री मोरारजी मार्वकी भी प्रशंसा लिखी है। यह भी प्रगट होता है कि यह सेना लेकर यहां आया था और ठहरा था । दंतिदुर्गा मन ७२२से ७२५ तक राज्य करता होगा और इसने यहां यात्रा की। इससे प्रगट है कि शायद इसने दशावतार मंदिर बनवाया हो। इसका चाचा व उत्तराधिकारी कृष्ण प्रया था। इसके सम्बंधमें प्रसिद्ध है कि इसने एलापुरा पहाड़ी पर अपने को बसाया था। इस स्थानको जांच नहीं हुई है शायद यह एल्टर गुफाओंके उपरकी पहाड़ी है। जहां वर्तमान रोजा नगरके बाहर प्राचीन हिन्दु नगरके वंश हैं । बोधान-ता० निजामाबाद । यहां एक देवल ममजिद है जो मूल में जैन मंदिर था क्योंकि नार्थकरकी बेटी मूर्तियें कई पाषाणोंपर अंकित हैं । ( निजामपुरा रिपोर्ट १९१४-१५) पाटनचेस-हंदगगदमें उत्तर पश्चिम १८ मील । यह स्थान जैन धर्मकी पूजाका बहुत प्रमिह म्थान था। यहां नगरके कई स्थानोंपर श्री महावीरम्बामी और दूसरे तीर्थकरोंकी बड़ी२ मृर्तिय १० फुटसे १४ फुटतककी विराजमान हैं--तथा हालमें भूमि खोदनेसे और भी मूर्तियें निकली हैं । दक्षिणके उत्तर भाग, एलोरा,
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy