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________________ हैदराबाद जिला। [ १७१ हॉलमें घुसते ही सामने वरामदेकी वाई तरफ दो बड़ी नग्न मूर्तियां श्री शांतिनाथ मोलहवें तीर्थकरकी हैं। नीचे एक शिलालेख (वीं व ९मी शताब्दीके अक्षरों में है, लेख है " श्री सोहिल ब्रह्मचारिणा शांति भट्टारक प्रनिमेयम " अथात् सोहिल ब्रह्मचारी दाग यह शांतिनाथ भगवानकी प्रतिमा । इसके आगे एक मंदिर है, इसके हालमें एक खंभा है, जिस पर एक नग्न मूर्ति विराजित है। उसके नीचे एक लाइन हैं "श्री नागवा कृत प्रतिमा " अर्थात् नागवर्मा द्वारा निर्मित प्रतिमा । जगन्नाथ गुफा में विशेष कथन यह है कि इस गुफाके कुछ ग्यभोंपर पुगनी कनडीमें कुल लेग्व है जो मन ई . ( ००से ८५० तकके होंगे। इन गुफाओंकी पहाड़ीकी दृमरी तरफ कुछ उपर जाकर एक मंदिरमें बहुत बड़ी मूर्ति श्री पार्श्वनाथ भगवानकी है जो १६ फुट ऊंची है, इसके आमनपर लेख है मिनी फाल्गुण मुदी तीन मंवत ११५६ है जो ता० २१ फर्वरी बुधवार सन १२३३ के बराबर है । लेखमें है कि श्री वर्द्धमानपुर निवामी रेणुगी थे, उनके पुत्र गेलुगी थे, उनकी स्त्री स्वर्णा थी। जिसके चार पुत्र थे। चक्रेश्वर आदि । उसने चारणोंसे निवामित इस पहाड़ीपर श्री पार्श्वनाथकी मूर्ति प्रतिठा कराई। इसके नीचे बहुतमी छोटी २ जेन गुफाएं हैं जो बहुत नष्ट होगई हैं। तथा चोटीके पाम एक खाली गुफा है जिसमें सामने दो चौकर खंभे हैं। एक शिलालेख-एल्लूरामें एक दशावतार लेख है इसमें
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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