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________________ १६२] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । किया था। जो मंदिर अब चालू है इसमें बहुत प्राचीन तथा मनोज्ञ दि. जैन मूर्तियें हैं। यही वह मान्यखेड है जहां जैनियोंके प्रसिद्ध आचार्य श्री राजवार्तिकके कर्ता श्री अकलंकदेव हुए हैं। राना शुभतुंगके मंत्री पुरुषोत्तम भार्या पद्मावतीके यह पुत्र थे । प्रमाणअत्रैव भारते मान्यग्वेटाख्यनगरे वरे । राजाऽमृच्छभतुंगाख्यस्तन्मंत्री पुरुषोत्तमः।। भार्या पद्मावती तस्य तयोः पुत्रौ मनः प्रियौ । संजातावकलंकाख्य निष्कलंकी गुणोज्वलौ॥।॥ इन्होंने ही कलिंग देशके रत्नमंचयपुरके राना हिमशीतलकी सभामें बौडोंके गुरु संघश्रीमे वाद करके उनको परास्त किया था। यह राजा शुभतुंग अकालवर्ष सन् ८६७ में यहां राज्य करने थे। जैसा राष्ट्रकूट वंशकी पट्टावलीमे प्रगट है। (१२) सांवरगांव-(नि० उममानाबाद) वारसीये २४ मील । शोलापुरसे १४ मील। हेमाडपंथी दि० जैन मंदिर श्री पाश्वनाथ ३॥ हाथ कृष्णवर्ण है। (१३) होनसलगी-नि० गुलबगा। होनमलगी म्टेशन है । सावलजी (G. I. P.)मे २ मील-प्राचीन जैन मंदिरमें श्रीपार्श्वनाथ ४ फुट कार्योत्सर्ग व शांतिनाथ ४ फुट। शिलालेग्य कनडीमें हैं। (१४) एलुगकी जैन गुफाएं-दौलताबाद स्टेशनमे १२ मीलके करीब दर्शनीय । यहां ३२-३३ गुफाएं हैं जिनमें ५ जैन गुफाएं बहुत बड़ी हैं। जिनमें बड़ी मनोज्ञ दि. जैन प्रतिमाएं हैं
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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