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________________ हैदराबाद जिला। नगर व धाराशिवका वर्णन है व गुफाओंमें श्री पार्श्वनाथ स्थापनका कथन है प्रमाणअत्रैव भरते क्षेत्रे देशे कुन्तलसंज्ञके । पुरे तेरपुरे नीलमहानीलौ नरेश्वरौ ।। ४ ।। अस्मात्तेरपुरादस्ति दक्षिणस्यां दिशि प्रभो । गव्य॒ति कान्तरेचारुपर्वतोस्योपरि स्थितम् ।। १४४ ॥ धाराशिवपुरं चास्ति सहस्रस्तंभसंभवम् । श्री मज्जिनेन्द्रदेवस्य भवनं मुमनोहरम ।। १४ ॥ करकंडश्च भूपालो जनधर्मधुरंधुरः। स्वस्य मातुस्तथा वालदेवस्योच्चैः मुनामनः ।। ११६ ॥ कारयित्वा मुधीस्तत्र लयणत्रयमुत्तमम् । तत्प्रनिष्ठां महाभृत्या शीघ्र निर्माप्य सादगत् ।। १९७।। अर्थात् करकंड रानाने धाराशिवमें अपने, अपनी मां व बलदेवके नाममे तीन गुफाओंके मंदिर बनवाकर बनी विभूतिसे प्रनिशा कराई। (१०) बंकुर-नि० गुलवर्गा-शाहाबाद (G. ! P.) मे २ मील । जैन मंदिर पाषाणका है-चार गर्भालय हैं। अंतर्गर्भमें प्रतिमा ६ फुट कायोत्मर्ग । बाहर--पार्श्वनाथ. आदिनाथ आदि। (११) मलग्वेड़-वाड़ीके पास चितापुरसे ४ मील-मलखेड़ रोड टेशन । प्राचीन नाम मलियाद्री यहां पहले १५ दि. जैन मंदिर थे। अब एक मंदिर स्थिर है कई मंदिर किले में बचे हैं। यही वह मान्यग्वेड है जो रागा अमोघ वर्ष जन सम्राटकीराज्यधानी थी । यहीं श्री जिनसेनाचार्यने पार्थाभुदयकाव्य पूर्ण
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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