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________________ १५८ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । (३२) हैदराबाद राज्य । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है: उत्तर--बरार । उत्तर पूर्व - खानदेश । दक्षिण- कृष्णा नदी और तुङ्गभद्रा नदी । पश्चिम - अहमदनगर, शोलापुर, बीजापुर, धारवाड़ । पूर्व में वर्षा और गोदावरी नदी । यहां स्थान ८ २६९८ वर्गमील है । यहां अन्धोंने सन ई० से २२० पूर्वसे राज्य किया । फिर चालुक्योंने, १५० ई० के करीब तक उनकी राज्यधानी कल्याणी रही । पुलकेशी द्रि० (६०८- ६४२ ) ने प्रायः सर्व भारतमें नर्वदा दक्षिण तक राज्य किया तथा यह कन्नौज के हर्षवनसे भी मिला था । मलखेड़ के राष्ट्रकूटोंने आठवीं सदीमें फिर करीब ९०३ के चालुक्य वंशने पीछे ११८९ के अनुमान यादवोंने राज्य किया । राज्यधानी देवगिरि या दौलताबाद | सन १३९८ में देवगिरि का राजा हरपाल मारा गया । मुहम्मद तुघलक दिहली ने राज्य किया । यहां जैनियों की वस्ती २०३४० है । (हंटर गजटियर १००८ ) मुख्यस्थान । (१) आतन - ( चंद्रनाथ ) दुधनीसे ५ मील | ग्राम बाहर जैन मंदिर प्राचीन है। प्रतिमा श्री पन्द्रप्रभु २ हाथ पद्मासन है १ पापाण २४ प्रतिमाका तीन प्रतिमा कायोत्सर्ग १ || फुट i ऊंची हैं । M 7 (२) आष्टे - आलंडसे १६ मील | मार्गमें अचलर ग्राममें प्राचीन जैन मंदिर है । वर्तमानमें महादेव पधरा दिये गए हैं ।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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