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________________ H . पर क्या होता! बालि मनुष्का और उनके दिल था, न मसलय मनाने वे किसीसे पीछे न रहे। ___ उन चण्डालीको मता बलिकोटी था, उसको गौरी और गोवा नामकी दो पत्निया की। गौरीकी कौससे एक पुत्र जन्मा था, वह जबाम था और उसका नाम हरिकेश था। किन्तु वह था बड़ा ही कुकर और उतना ही अधिक चंचल । बसन्तोत्सवमें उसने मी खुब भाग लिया। खराब पीकर वह बदहोश होगया और उसने अपशब्द बकना तथा ऐसी घृणित चेष्टा करनी आरम्भ की कि स्वयं बलिकोटी उनको सहन नहीं कर सका। हठात् उसने चाण्डालों से कहा कि 'हरिया बदमाश है। इसे अपनेमेसे निकालकर बाहर करो।' . ____ चाण्डाल हरियाकी नटखटीसे ऊब ही रहे थे। उन्होंने उसे मारकूटकर अपनेमेसे निकालकर बाहर कर दिया और वे फिर आकर उत्सव मनाने में मम होगये। . जब जीवको अच्छा होना होता है तो बुरा भी भला होजाता हकिलको चाण्डालोंने अपनेमेसे निकाला क्या उसका जीवन सुघर गया । हरिबलकी प्रकृति अक्खड़ थी, वह देखने में ही भया नक नहीं, वयमें भी भयानक था। अपने मनकी करना उसे इष्ट था।जब चारकोंने उसे अपने उत्सवमे से निकाल दिया तो वह उनके पास ही क्यों जाय ? उसकी मा भी तो वहा थी और बाप मी । उन्होंने भी तो उसका कुछ ज्याल नहीं किया माकी ममता तो जामसिक है, पर उसके लिये यह पत्थर होगई । उमे क्या पड़ी
SR No.010439
Book TitlePatitoddharaka Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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