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________________ पल्लीवाल जाति के ऐतिहासिक प्रसंग करवाई थी । यह प्रतिमा भी उक्त मन्दिर में विराजमान है । ( 16 ) भरतपुर - स 1826 वर्षे मिती माघ बदि 7 गुरुवार stroगरे महाराजे केहरी सिंह राज्ये विजय गच्छे महा भट्टारक श्री पूज्य श्री महानन्द सागर सूरिभिस्तट्टपदत्त पल्लीवाल वश डगिया गोत्रे हरसाणा नगर वासिता चौधरी जोधराजेन प्रतिष्ठा करापितायाँ । 49 यह श्री मुनिसुव्रत स्वामी बिम्ब मूलनायक रूप मे श्री जैन श्वेताम्बर पल्लीवाल मन्दिर जती मोहल्ला भरतपु में विराजमान हैं। इसी मन्दिर में सर्वधातु की पचतीर्थी जी पर निम्नलिखित लेख है || सिधि || सवत् 1554 बैसाख मुदी 3 पल्लीवाल ज्ञातीय सघ धलित सूना सधना । श्री पार्श्वनाथ बिम्ब कारित - ..... 1 (16) साथा ( राजस्थान ) - श्री शारदाय नम श्री गुरुभ्यो नम सवत् 1708 वर्षे फागुन सुदी 12 भृगुवासरे रिषधीलाल जैन जाति पल्लोवाल के भया लालचन्द लि० तब सिष मोहन जि तमु सिष दशरथ तसु मिष षेतसि सवत 1708 फागुन सुदी 12 | सन् 1930 में प्रकाशित गुजराती मूल के ग्रंथ 'जैन परम्परा नौ इतिहास, भा-2' में भी बहुत से पल्लीवालो के धार्मिक कार्यो का उल्लेख है, वह निम्न प्रकार है (1) मोटा दानवीर सेठ लाखन ( लाखण ) पल्लीवाल ने सवत् 1299 के कार्तिक महिने मे राजगच्छ के प्राचार्य रत्न प्रभ के उपदेश मे 'समराइच्च कथा' लिखाई और व्याख्यान कराया । (2) बरहुडिया नमड पल्लीवालो के वंशजो ने शत्रु जय, गिरनार, श्राव आदि मे जिन मन्दिर, जिन प्रतिमाओ और परिकरो को बनवाया व प्रतिष्ठा करवाई ।
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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