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________________ 50 पल्लीवाल जन जाति का इतिहास (3) नेमड पल्लोवाल के पौत्र जिनचन्द्र ने सवत् 1292 मे पोर सम्वत 1296 में बीजापुर मे तपागच्छ के प्राचार्यों का चातुर्मास करवाया व शास्त्र लिखवाया। (4) बरहुडिया जिनचन्द्र का पुत्र वीर धवल और भीमदेव तपा गच्छ के प्राचार्य विद्यानन्द सूरि (सवत् 1302 से 1327) और धर्मघोष सूरि (सवत् 1302 से 1257) बने। ये बडे त्यागी और तपस्वी थे। (5) सोही पल्लीवाल का पौत्र आह्ड उनके पुत्र पद्मसिह की पुत्रो भावमू दरी साध्वी कीर्तिगणि के समीप दीक्षा अगीकार की। आहड का पुत्र श्रीपाल सवत् 1303 मे कार्तिक सुदी 10 रविवार को भरूच मे प्राचार्य कमलप्रभ सूरि के उपदेश से 'अजितनाथ चरित्र' लिखवाया और उसके पक्षधर प्राचार्य नरेश्वर सूरि से व्याख्यान करवाया। (6) कर्पूरा देवी पल्लीवाल सम्वत् 1327 में 'शतीपदी दीपिका' लिखवाई। (7) पुन्ना परलीवाल का पौत्र गणदेव खभात की पोशाला मे त्रिषष्ठिशाला का पुरुष चरित्र' भेट अर्पण किया। (8) वीरपुर के धनाढ्य देदाधर पल्लीवाल की पत्नी रासलदेवी ने 'गणधर सार्ध शतक' की टीका लिखवाई। (9) सिहाक और धनगज काकासिह की आज्ञा से सम्वत् 1441 मे खभात मे तमाली मे स्थभण पार्श्वनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया और प्राचार्य देवसुन्दर सूरि के पट्टधर प्राचार्य ज्ञान सूरि पद महोत्सव किया। उनके ही काका भाइयो लखमसिह, रामसिह और गोवात्र ने सवत् 1442 में प्राचार्य देव सुन्दर सूरि के पट्टधर आचार्य कुलमण्डन सूरि तथा आवार्य गुणरत्न सूरि का पद महोत्सव किया।
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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