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________________ 30 जि अप्पारण ण होइ हउ डज्झउ सो उव्वरइ वलिवि A जोवह तो E ho इ जरइ ཝཱ ཝ ླ ཝ संभवइ जो परि कोवि श्ररणतु तिहुवरण सामिउ णारणमउ सो सिवदेउ भितु 31 अण्ण अव्यय (अप्पारण) 1/1 श्रव्यय (हो) व 3/1 क (अ) 1 / 1 स (डज्म) व कर्म 1 / 1 सक अनि (त) 1 / 1 सवि ( उव्वर) व 3 / 1 ग्रक (वल + इवि) सकृ श्रव्यय (जोव) व 3 / 1 सक अव्यय अव्यय पाहुडदोहा चयनिका ] (जर) व 3 / 1 अक अव्यय = ही श्रात्मा - नहीं = होती है = मैं == जला दिया जाता हूँ = वह - शेष रहता है - = =मुडकर = नहीं = देखता है =तब =भी = जीर्ण होता है। == नहीं =मरता है। (मर) व 3 / 1 अक (समव) व 3 / 1 अक (ज) 1 / 1 सवि [(पर) + (इ)] पर (पर) 1 / 1 वि उच्चतम इ (अव्यय) = पादपूरक (क) 1 / 1 सवि (प्रणत) 1 / 1 वि श्रनत [ ( तिहुवरण ) - ( सामित्र) 1 / 1 = त्रिभुवन का स्वामी 'अ' स्वार्थिक] ( गारगम) 1 / 1 वि (त) 1 / 1 सवि (सिवदे) 1 / 1 (मित) 1 / 1 वि (अण्णा) 1 / 1 वि = उत्पन्न होता है। जो = कोई ज्ञानमय = वह - शिवदेव निस्स देह = अनोखी [ 41
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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