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________________ तुहार (तुहारम) 1/1 वि -तुम्हारी रगारगम (णाणमन) 1/1 वि -ज्ञानमय लक्खिउ (लक्ख→लक्खिन) भूक 1/1 -समझी गई जाम अव्यय -जब तक अव्यय भाउ (भा)1/1 -स्थिति सकप्पवियप्पिउ [(सकप्प)-(वियप्प-विप्पिन) =विचार और सशय किया भूकृ 1/1] दड्ढउ (दड्ढय) भूक 1/। अनि 'अ' स्वा =अशुभ (चित्त) 1/1 -चित्त वराउ (वराअ) 1/1 वि बेचारा चितु परु 32 णिच्चु (रिणच्च) 1/1 वि -नित्य गिरामउ (रिणरामत्र) 1/1 वि •-निरोग पारगमउ (णाणमय) 1/1 वि -ज्ञानमय परमारणदसहाउ [[(परमाणद)-(सहाय)1/1] वि =परमानन्द स्वभाववाली अप्पा (अप्प) 1/1 आत्मा बुज्झिउ (बुज्झ-बुज्झिन) भूक 1/1 -समझ ली गई जेरण (ज) 3/1 स -जिसके द्वारा (पर) 1/1 वि उच्चतम तासु (त) 4/1 म -उसके लिए ग अव्यय -नहीं अण्ण (अण्ण) 1/1 वि -अन्य अव्यय -निश्चय ही (भा) 1/1 = झुकाव 33 प्रप्पा (अप्प) 1/1 -प्रात्मा फेवलणारगमउ (केवलवारणमन) 1/1 वि केवलज्ञानमय हिया (हिय+अडग्र) 7/1 'अन' स्वा =हृदय मे रिगवस (रिणवम) व 3/1 अक =निवास करती है नासु (ज) 6/1 म =जिसके 42 | [ पाहुटदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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