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________________ ( 38 ) ॥ वस्तु ॥ कुमरु पत्तउ क्रमरु पत्तज, जान सजुत्त । राद्रहि पुरि सुघण सुयण, जर्णाणि बर्घावहि सोहड | नव अण वट सहिय जण मणु, अणेग आभरणि मोहइ । देहिलग वरु चरणावियर, मडिय पउरिय नदि । सिरि जिणवर्द्धनसूरिनिय दिक्ख कुमरि आदि ||३७|| । ॥ भास ॥ कहिय जिणवर तणा, भणिय आगम छणा, लक्खण, तर्क नाटक पुराण । पच सुमितिर्हि सहिय गुत्ति तिहि, अविरहिय वहरए कितिराजो सुजाण ||३८|| जाणि जिनवर्द्धनसूरि गुण वर्द्धन, चवदसह सत्तरे (१४७०) पट्टणे पुरवरे, पडिय गुण गण माँहि राउ । कियउ 'वाणारिउ' कित्तिराउ ||३६|| भविय जण बोहए वादि पड़ि रोहए, लहुय वय तहवि गुरु गुण विसालो । भुयण सुपयास ए तिमिर भर नासए, दिणयरो जह उदयमि वालो ||४०|| नयरि महेव ए चउदस्य असियए ( १४८०), कित्तिराजोय जिणभद्द सूरि । दसम वइसाह सुदि ठविय उवझाय पदि, हरिसिय देवलदेवि भूरि १४१ ॥ निय सदाचार आगम वलेण । करिय विहार सुविचार उत्तरदिशि, खरतराचार लीणाउ घण साविया, निम्मया अभिनवा तत्थ तेणं ॥४२॥
SR No.010429
Book TitleNeminath Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiratnasuri, Satyavrat
PublisherAgarchand Nahta
Publication Year1975
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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