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________________ नवाँ परिच्छेद ४२१ बड़ा सत्कार किया और शुभ मुहूर्त्तमें बड़ी धूमके साथ उनसे बालचन्द्राका विवाह कर दिया । राजा समुद्रविजय इस बीच रुधिरराजसे बिदा ग्रहण कर कंसादिकके साथ अपने नगरको चले गये थे । वहाँ 'वै प्रतिदिन वसुदेवकी प्रतीक्षा करते थे । इधर वसुदेवने शीघ्र ही काश्वनदंष्ट्रसे विदा ग्रहण कर बालचन्द्रा के साथ अपने नगरके लिये प्रस्थान किया । इसी समय उन्होंने अपनी उन सब स्त्रियोंको भी अपने साथ ले लिया, जिनसे उन्होंने पहले व्याह किया था। इस समय अनेक विद्याधर और उनके साले आदिक सम्बन्धी भी उनके साथ हो गये । वसुदेव इन सबके साथ जिस समय विमलमणि विमानमें बैठ कर शौर्यपुर पहुँचे, उस समय उनकी आनंन्द हृदयमें न समाता था। राजा समुद्रविजय और समस्त नगर निवासी बड़े आदरके साथ उन्हें नगरमें लिवा ले गये । वहाँ वसुदेव परिवारके साथ आनन्दपूर्वक अपने दिन व्यतीत करने लगे । फैन ? = 德
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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