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________________ ४२० नेमिनाथ चरित्र वहींपर उपस्थित थे। उसी समय एक प्रौढ़ा स्त्री आकाशसे उतरकर वहाँ आयी। और उसने वसुदेवसे कहा :--"हे कुमार ! मेरा नाम धनवती है। मेरे बालचन्द्रा और वेगवती नामक दो कन्याएं हैं। इनमेंसे बालचन्द्रा आपसे विवाह करनेके लिये लालायित है । वह दिनमें न खाती है, न रातको ही उसे निद्रा आती है। यदि आप मेरे साथ न चलेंगे, तो आपकी वियोगाग्निमें वह अपने प्राण त्याग देगी।" वसुदेवने गुरुजनोंके सामने उसकी इन बातोंका कोई उत्तर न देकर, समुद्रविजयकी ओर देखा। समुद्रविजयने कहा :-“हे भाई! यह शुभ कार्य है, इसलिये मैं तुम्हें सहर्ष जानेकी आज्ञा देता हूँ। किन्तु पहलेकी तरह वहाँ अधिक समय न बिता.देना !" ___बड़े भाईकी आज्ञा मिल जाने पर वसुदेव उन्हें प्रणाम कर धनवतीके साथ आकाशगामी वाहन द्वारा गगनवल्लभ नगरमें जा पहुंचे। वहॉपर बालचन्द्राके पिता काञ्चनदंष्ट्रने, जो विद्याधरोंके राजा थे, उनका
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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