SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नैश्कसिधिः यो हि यत्र विरक्तः स्यान्नाऽसौ तस्मै प्रवर्तते । लोकत्रयविरक्तत्वान्मुमुक्षुः किमितीहते ॥ ६५ ॥ अस्तु, तत्वज्ञान तो समस्त प्रवृत्तिके बीजको ही भस्म कर देता है, इसलिए उसकी तो बात रहे । जब कि मुमुक्षु अवस्थामें भी यथेष्टाचरण नहीं हो सकता, तब ज्ञान होनेपर कैसे होगा ? क्योंकि जो जिस विषयमें विरक्त है, वह उसके साधनमें प्रवृत्त नहीं होता। मुमुक्षु तो लोकत्रयसे विरक्त है, तब वह उसमें क्यों प्रवृत्त होगा ? अर्थात् मुमुक्षु भी जिस विषयमें चेष्टा नहीं करता है, उसमें मुक्त पुरुष चेष्टा नहीं करता, इसमें तो कहना ही क्या है ? ॥ ६५ ॥ तत्र दृष्टान्त:-क्षुधया पीड्यमानोऽपि न विष ह्यत्तुमिच्छति । मिष्टान्नध्वस्ततूड जानन्नाऽमूढस्तजिघृक्षति ॥६६॥ इस विषयमें दृष्टान्त देते हैं जैसे क्षधासे पीडित भी मनुष्य उसे शान्त करने के लिए विष नहीं खाना चाहता तो फिर जब मिष्टान्नके भक्षण करनेसे तुधा निवृत्त हो चुकी, तब भला वह विष खानेमें कैसे प्रवृत्त हो सकता है ? वैसे ही मुमुत्तुदशामें वर्तमान यह पुरुष ऐहिक और पारलौकिक सुखोंसे विरक्त होकर जब उनके साधनों में नहीं प्रवृत्त हुश्रा, तब फिर ब्रह्मानन्दका अनुभव करनेके बाद वह विषयसुखोंमें प्रवृत्त होंगा, यह बात सम्भावित भी नहीं हो सकती ? ॥६६॥ यतोऽवगतपरमार्थतत्त्वस्य यथेष्टाचरणं न मनागपि घटते मुमुक्षुत्वेऽपि च तस्मात् - रागो लिङ्गमबोधस्य चित्तव्यायामभूमिषु । कुतः शाद्वलता तस्य यस्याऽग्निः कोटरे तरोः ॥ ६७ ॥ क्योंकि परमार्थ तत्वके ज्ञाता (तत्त्ववेत्ता) का एवं मुमुक्षु अवस्था में वर्तमान पुरुष का भी किञ्चिन्मात्र भी यथेष्टाचरण नहीं हो सकता, इसलिए चित्तकी स्वतःप्रवृत्तिके आलम्बनभूत-शब्दादिविषयोंमें जो अनुराग होता है उसको अज्ञानका चिह्न समझना चाहिए, क्योंकि जिस वृक्षके कोटरमें अमिका निवास रहता है, उसमें हरियाली कैसे पा सकती है ? ॥६७ ॥ १-तत्र प्रवर्तते, ऐसा पाठ मी है। २-मृष्टान्नं, ऐसा पाठ भी है
SR No.010427
Book TitleNaishkarmya Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrevallabh Tripathi, Krushnapant Shastri
PublisherAchyut Granthmala Karyalaya
Publication Year1951
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy