SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री भोलाराम का जीवन अत्यधिक सरल एवं धामिक क्रियाओं से सम्पन्न था । 45 वर्ष की आयु मे व्यवसाय आदि छोड ब्रह्मचर्य व्रत लेकर उदासीन जीवन व्यतीत करने लगे तथा समाज को अपने जीवन से प्रेरित करते रहते । मुलतान समाज मे उनके प्रति गहरी श्रद्धा थी। बगवानी जी ज्यादा पढे लिखे नही थे तो भी स्वाध्याय के बल पर वे हिन्दी के अच्छे ज्ञाता हो गये थे। वे गोम्मटसार जैसे ग्रन्थो का स्वाध्याय करने लगे थे। स्वाध्याय के बल पर उन्होने मलतान से मोरेना विद्यालय में जाकर गोम्मटसार की परीक्षा दी और उसमे प्रथम स्थान प्राप्त किया । मोरेना से मुलतान आते समय रास्ते मे फिरोजपुर पहुंचे जहा उनका स्वास्थ्य अधिक खराब होने से फिरोजपुर में ही स्वर्गवास हो गया । भोलाराम जी के तीन लडके थे, जिनके नाम श्री रिखवदास श्री आसानन्द एव श्री रंगूलाल है। तीनो ही लडके धार्मिक प्रवृत्ति के थे, तथा सामाजिक कार्यो मे गहरी रुचि लेते थे। 0000 श्री दासूरामजी (जिनदासमलजी) सिंगवी __ श्री दासूरामजी (जिनदासमलजी) सिंगवी का जन्म श्री फतेहचन्दजी पुत्र श्री नोतनदासजी सिंगवी के घर मलतान मे हुआ। श्री दासूरामजी, जिनदासमलजी के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। लाला जिनदासमलजी जैन समाज के उन व्यक्तियो मे से थे जिनका सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में समर्पित था। आप स्वभाव से शान्तिप्रिय, विवेकी, धर्मनिष्ठ और वद्धिजीवी, कर्मठ कार्यकर्ता, कुशल सचालक एव निष्ठावान समाजसेवी ; थे । अनाथ विधवाओं, विद्यार्थियो एवं दीनदुखियो तथा वेरोजगार भाइयो की सेवा करने मे आपको बडी रुचि थी। ऐसे कार्यों को अपना स्वयं का जरूरी से जरूरी कार्य छोडकर पहले करने को तत्पर रहते थे । नमाज में प्रेम. . श्रीमती मिल • मुनसान दिगम्बर जैन नमार निराम रे पागेर में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy