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________________ पुत्रियो के विवाह आदि सम्पन्न करने के पश्चात् दस हजार रुपये अपने पास रखने का नियम लेकर अपना धन्धा छोड़ दिया और पूरा समय समाज एव धर्म की सेवा मे समर्पित कर दिया । 60 वर्ष की आयु के लगभग उनको कम दिखने लगा, फिर भी स्वाध्याय करना नही छोडा । स्वय पढने योग्य न होते हुए भी दूसरो से सुनते और युवको को घर से बुला - बुला कर शास्त्राभ्यासी वनने हेतु मोक्ष मार्ग प्रकाशक आदि का स्वाध्याय करवाते । यदि वे किसी पक्ति को पढने मे चूक जाते तो उसे स्वय ठीक बोल कर सुधरवा देते । उनके कोई पुत्र नही था । अपनी वडी लडकी के पुत्र जयकुमार (जो वर्तमान मे मुलतान दिगम्बर जैन समाज के मंत्री है) को बचपन से अपने पास रखा और बाद मे उन्हे गोद लेकर अपना लडका वना लिया । सवत् 2003 मे आपकी मृत्यु के समय आपका दत्तक पुत्र एव अन्य सबधी एक विवाह मे डेरागाजी खान गये हुए थे । उसी दिन सायकाल अचानक उन्हे अपने अन्तिम समय का ज्ञान हो गया । अपनी भानजी को बुलाकर सिद्धो की आरती वोलने को कहा और स्वयं भी बोलने लगे । जैसे ही आरती समाप्त हुई वोलते-बोलते आप इस नश्वर देह को छोडकर 70 वर्ष की आयु मे स्वर्गलोक सिधार गये । 46 श्री गोलाराम वगवानी 1 0000 श्री भोलारामजी बगवानी श्री थारचामल जी के पुत्र श्री भोलाराम वगवानी मुलतान दिगम्बर जैन समाज के सम्मानित व्यक्ति थे । पहिले वह श्वेताम्बर जैन थे लेकिन वाद मे श्री घनश्यामदास जी से धर्म का सत्यमार्ग समझ कर दिगम्वर धर्म मे दीक्षित हो गये । स्वाध्याय मे गहरी रुचि होने के कारण वे कितने ही ग्रंथो के अच्छे ज्ञाता हो गये । महाकवि बनारसीदास के समयसार नाटक को उन्होने कितनी ही वार स्वाध्याय किया था इसलिये उन्हे बहुत से दोहे एव सवैये कठस्थ याद हो गये और जब कभी शास्त्र सभा मे किसी श्रोता द्वारा प्रश्न उपस्थित होता तो वे उसका उत्तर दोहा सवैया सुनाकर दे दिया करते थे । उन्हे धर्म के प्रति इतनी लगन हो गयी थी कि प्रतिदिन 3-4 घन्टे तक शास्त्रो का स्वाध्याय करते रहते थे । • मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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