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________________ म प्रतिलिपि कराई गयी थी । प्रतिलिपि करने वाले स्थिर हर्षगणि के शिष्य एव कीर्तिसौभाग्यगणि के शिष्य प० खेतसी थे । मुलतान नगर मे ही श्राविका माणिकदेवी भी सुशिक्षित महिला थी । वह भी अध्यात्म ग्रन्थो के पठन पाठन मे रुचि लेती थी । श्राविका माणिकदेवी ने समयसार नाटक अपने स्वाध्याय के लिये सवत 1778 आसोज सुदी 11 को उपाध्याय देवधर्मंगणि से लिखवाया था | 3 धर्मचर्चा ग्रन्थ को लिखाने वाले सोमजी साह के सुपुत्र के श्रावक गंगाधर । इन्होने भैया भगवतीदास के ग्रन्थ "ब्रह्म विलास " की सवत 1797 मे प्रतिलिपि करायी थी । सोमजी एव गंगाधर कनोडा गोत्र के श्रावक थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि सवत् 1700 से 1800 तक मुलतान एव उसे बाहर अन्य नगरो मे ग्रन्थो की प्रतिलिपिया करवाने का क्रम बरावर जारी रहा जो मुलतान निवासियों के स्वाध्याय प्रेम का स्पष्ट द्योतक है । अमोलका बाई प० वर्धमान नवलखा स्वयं तो पडित थे ही उनकी पुत्री अमोलका बाई भी सुशिक्षित स्वाध्याय प्रेमी एव कवयित्री थी । अपने पिता के समान उन्हे साहित्य रचना से प्रेम था । लेकिन पूर्वोपार्जित अशुभ कर्मोदय से वह छोटी अवस्था मे विधवा हो गई । पति के स्वर्गवास के पश्चात जब एक ओर कुटुम्वी जन शोक सतप्त थे तथा हार्दिक दुख प्रकट कर रखे थे उस समय अमोलका बाई ने ससार की असारता पर विचार करते हुए शोक नही किया किन्तु अत्यधिक शान्ति एव धैर्य के साथ स्वपर कल्याण के लिये बारह भावना, वासा, वधावा आदि छोटी कविताए निबद्ध करती रही। जिनका प्रकाशन मुलतान समाज की ओर से " जैन महिला गायन" नामक एक लघु पुस्तक के रूप मे वीरनिर्वाण सवत् 2462 मे कराया गया था । पडित अजित कुमार जी शास्त्री ने इस पुस्तक का सम्पादन किया था । 1-बासा इसमे 26 पद्ध है जिनमे 24 तीर्थकरो के माता-पिता, आदि का परिचय है । बासा की भाषा वडी सरल एव मधुर है । बासा मे मुलतान एव डेरागाजीखान का भी जगहजगह उल्लेख किया है तथा वहा के मन्दिरो की प्रतिमाओ का वर्णन मिलता है । उसमे 1. संवत् मूसर रिषीदु वर्षे 1748 मार्गसिर मासे कृष्ण पक्षे द्वितीया कर्मवास्यां भृगुवासरे वाचनाचार्य वर्षधुप्ये श्री श्री 108 श्री श्री स्थिरहर्षगणी वराणां तशिष्य पण्डित श्री कीर्ति सोभाग्यगरणी तत् शिष्य पंडित नेतसी एतत् पुस्तिका तास्ति । राखेचा गोत्रे साह श्री चाहुडमल्ल जी तत्पुत्र साह श्री भैरवदास जी तत्पुत्र भोजराज भेलामल्ल वाचनार्थ । 2- समयासार नाटक - लिपि संवत 1778 आसोज बुदी 11 उपाध्याय श्री देवधमंगणि ते श्राविका श्री माणिकदेवी जी पठनार्थ लिखा । मुलतान दिगम्बर जैन समाज - इतिहास के आलोक मे 11 ]
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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