SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री छोगमलजी सिंगवी का परिवार श्री छोगमलजी भी श्री लुणिन्दामलजी के वशजो मे से हैं। लुणिन्दामलजी के पुत्र ऋषिराम और उनके पुत्र घनश्यामदास तथा उनके छोगमल हुए । इन सबका परिचय विशिष्ट व्यक्ति परिचय परिशिष्ट मे आ चूका है । छोगमल के श्री गुमानीचन्द एव बुद्धसेन दो पुत्र हैं। जिनका परिचय हम यहा दे रहे हैं। श्री गुमानीचंदजी सिंगवी श्री गुमानीचन्दजी का जन्म 70 वर्ष पूर्व श्री छोगमलजी पुन श्री घनश्यामदास सिगवी के घर मुलतान मे हुआ था । प्रारम्भिक शिक्षा के पश्चात् आप पिता के साथ व्यवसाय मे कार्यरत हो गये। आप भी अपने पर्वजो। की तरह धर्मात्मा एव समाजसेवी व्यक्ति हैं। पाकिस्तान बनने पर पहले आप जोधपुर मे आकर रहे । कुछ समय बाद आप दिल्ली मे आ गये और यहा व्यवसाय शुरू कर दिया। जयपुर-स्थित आदर्शनगर दिगम्बर जैन मन्दिर के निर्माण कार्य मे आपकी अत्यधिक अभिरुचि रही। इस मन्दिर के निर्माणार्थ जयपुर समाज के सदस्य जबजब दिल्ली आये आपने स्वय अच्छा आर्थिक सहयोग दिया और मुलतान दिगम्बर जैन समाज दिल्ली से हर प्रकार का आर्थिक सहयोग दिलाने मे हमेशा तत्पर रहे तथा आदर्शनगर मन्दिर मे शिखरो की कमी को पूरा करने के लिये तीन शिखरो मे से एक शिखर बनवाने की स्वीकृति देकर मन्दिर की बहुत बडी कमी को पूरा करने का वचन दिया है। आप दिल्ली मुलतान दिगम्बर जैन समाज के एकाधिकार प्राण हैं। जो आप द्वारा निर्देशित की जाने वाली सर्व गतिविधियो को समाज पूर्ण रूप से स्वीकार करता है। इसके अतिरिक्त आप सामाजिक गतिविधियो मे भी पूर्ण सहयोग देते रहते हैं। आपका शिक्षा के क्षेत्र मे सस्थाओ को सहयोग करने मे विशेष हाथ रहता है । आप दीन दुखियो व असहायो की भी यथाशक्ति सहायता करने मे कृत सकल्प रहते है। समाज के किसी भी .. 174 ] • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy