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________________ वनाया गया तब दिली समाज की अभिर चि भी इस मन्दिर निर्माण के कार्य हेतु उत्पन्न करने मे आपका प्रमुख हाथ रहा । आपने सन् 1958 मे अपना व्यवसाय दिल्ली मे स्थानान्तर कर लेने पर भी मन्दिर निर्माण मे आपकी रुचि कम नही हुई और आप उसी तरह से पूर्ण सहयोग देकर जीवनपर्यन्त अपने सहयोगियो के साथ कार्य करते रहे। आपका स्वर्गवास असामयिक हो गया । आपके पीछे आपका परिवार भी धार्मिकता से जीवनयापन कर रहा है । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती विशनी देवी ने महावीर कीर्तिस्तम्भ निर्माण मे अच्छा आर्थिक योगदान दिया है । आपके सुपुत्र इन्द्रकुमार एव वीर कुमार भी आपकी तरह उत्साही एव बुद्धिजीवी है । आपके द्वारा स्थापित उद्योगो मे बरावर उन्नति कर रहे है । आपकी दो पुत्रिया भी अच्छी सुशिक्षित एव प्रतिभाशाली है। श्री घनश्यामदासजी के पुत्र (1) श्री इन्द्र कुमार श्री इन्द्र कुमार घनश्याम दास जी के बड़े पुत्र है । आप अपने पिता की तरह बुद्धिमान एव होनहार युवक है । आपने इन्द्रा होजरी इन्डस्ट्रीज को उन्नति के शिखर पर पहुचाया और उसमे अच्छा धनोपार्जन कर समाज के सम्पन्न परिवारो मे गिने जाने लगे। धर्म मे भी आपकी अच्छी अभिरुचि है। आपने महावीर कीर्तिस्तम्भ बनवाने एवं उसकी प्रतिष्ठा कराने मे समाज को अच्छा आर्थिक योगदान दिया है । आपकी धर्मपत्नी का नाम रेखा जैन है। आपके एक पुत्र एव दो पुत्रिया हैं । व्यवसाय-इन्द्रा होजरी इन्डस्ट्रीज वस्ती हरफूल सिह, सदर थाना रोड, दिल्ली । (2) श्री वीर कुमार श्री वीर कुमार, श्री घनश्याम दास जी के द्वितीय पुत्र है । आप भी अपने भाई की तरह सहनशील, बुद्धिजीवी एन उत्साही युवक है । आदर्शनगर मन्दिर मे आपकी अच्छी अभिरुचि रही है। महावीर कीर्तिस्तम्भ के निर्माण एव प्रतिष्ठा मे आपने प्रमुख भाग लिया और अच्छा आर्थिक सहयोग दिलाया । आपकी धर्मपत्नी का नाम-मन्जु जैन है ।आपके एक पुत्र एव एक पुत्री है । व्यवसाय-वी के इन्द्रा होजरी इन्डस्ट्रीज, विरला मिल के सामने, सब्जी मण्डी घण्टाघर, दिल्ली। फोन 566254 [ 173 • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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