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________________ परिशिष्ट-२ प्रत्येक द्रव्य और उसके प्रत्येक पर्यायकी स्वतंत्रताकी घोषणा १-प्रत्येक द्रव्य अपनी अपनी त्रिकाली पर्यायका पिंड है और इसीलिये वे तीनों कालकी पर्यायोंके योग्य हैं; और पर्याय प्रति समय की है, इसीलिये प्रत्येक द्रव्य प्रत्येक समयमें उस उस समयकी पर्यायके योग्य है और तत्तद् समयकी पर्याय तत्तद् समयमें होने योग्य है अतः होती है। किसी द्रव्यकी पर्याय आगे या पीछे होती ही नहीं। २-मिट्टी द्रव्य ( मिट्टोके परमाणु ) अपने तीनों कालकी पर्यायों के योग्य है तथापि यदि ऐसा माना जाय कि उसमें तीनों कालमें एक घड़ा होने की ही योग्यता है तो मिट्टी द्रव्य एक पर्याय जितना ही हो जाय और उसके द्रव्यत्वका भी नाश हो जाय । ३-जो यों कहा जाता है कि मिट्टी द्रव्य तीन कालमें घड़ा होने के योग्य है सो परद्रव्यसे मिट्टीको भिन्न बतलाकर यह बतलाया जाता है कि मिट्टीके अतिरिक्त अन्य द्रव्य किसी कालमें मिट्टीका घड़ा होनेके योग्य नहीं है । परन्तु जिस समय मिट्टी द्रव्यका तथा उसकी पर्यायकी योग्यता का निर्णय करना हो तब यों मानना मिथ्या है कि 'मिट्टी द्रव्य तीनों कालमें घड़ा होनेके योग्य है; क्योंकि ऐसा माननेसे मिट्टी द्रव्यकी अन्य जो जो पर्यायें होती हैं। उन पर्यायोंके होनेके योग्य मिट्टी द्रव्यकी योग्यता नहीं है तथापि होती है ऐसा मानना पड़ेगा जो सर्वथा असत् है । इसलिये मिट्टी मात्र घटरूप होने योग्य है यह मानना मिथ्या है । ४-उपरोक्त कारणोंको लेकर यह मानना कि "मिट्टी द्रव्य तीनों कालमें घड़ा होनेके योग्य है और जहाँ तक कुम्हार न आयें वहाँ तक घड़ा नही होता" ( यह मानना ) मिथ्या है; किन्तु मिट्टी द्रव्यको पर्याय जिस समय घड़ेरूप होनेके योग्य है वह एक समयकी ही योग्यता है अतः उसी
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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