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________________ ४२० मोक्षशास्त्र है। तारवाली वीणा, सितार तम्बूरादिसे उत्पन्न होनेवाली भाषाको वितत कहते हैं। घंटा आदिके बजानेसे उत्पन्न होनेवाली भाषा धन कहलाती है और जो बांसुरी शंखादिकसे उत्पन्न हो उसे सुषिर कहते है। जो कानसे सुना जाय उसे शब्द कहते है। जो मुखसे उत्पन्न हो सो भाषात्मक शब्द है । जो दो वस्तुके आघातसे उत्पन्न हो उसे प्रभाषात्मक शब्द कहते है। अभाषात्मक शब्द उत्पन्न होने में प्राणी तथा जड़ पदार्थ दोनों निमित्त है । जो केवल जड़ पदार्थाके आवातसे उत्पन्न हो उसे वैससिक कहते है, जिसके प्राणियोंका निमित्त होता है उसे प्रायोगिक कहते हैं। मुखसे निकलनेवाला जो.शब्द अक्षर, पद, वाक्यरूप है उसे साक्षर भाषात्मक कहते हैं, उसे वर्णात्मक भी कहते है। तीर्थंकर भगवानके सर्व प्रदेशोंसे जो निरक्षर ध्वनि निकलती है उसे अनक्षर भाषात्मक कहा जाता है, ध्वन्यात्मक भी कहा जाता है। चंध दो तरहका है-१-वैससिक और दूसरा प्रायोगिक । पुरुष की अपेक्षासे रहित जो बंध होता है उसे वैनसिक कहते हैं। यह वैनसिक दो तरहका है १-आदिमान २-अनादिमान । उसमें स्निग्ध रूक्षादि के कारण से जो बिजली, उल्कापात, बादल, आग, इन्द्रधनुष आदि होते हैं उसे आदिमान वैस्रसिक-बंध कहते हैं। पुद्गलका अनादिमान बंध महास्कंध आदि हैं। ( अमूर्तिक पदार्थोमें भी वनसिक अनादिमान बंध उपचारसे कहा जाता है । यह धर्म, अधर्म तथा आकाशका है एवं अमूर्तिक और मूर्तिक पदार्थका अनादिमान बंध-धर्म, अधर्म, आकाश और जगद्व्यापी महास्कंधका है) जो पुरुपकी अपेक्षा सहित हो वह प्रायोगिक बंध है। उसके दो भेद हैं-१-अजीव विषय २-जीवाजीव विषय । लाखका लकड़ीका जो वध है सो अजीव विषयक प्रायोगिक बंध है। जीवके जो कर्म और नौकर्म बंध हैं सो जीवाजीव विपयक प्रायोगिक बंध हैं । सूक्ष्म-दो तरह का है-१-ग्रंत्य २-प्रापेक्षिक । परमाणु अंत्य सूदम है। आंवलेसे बेर सूक्ष्म है, वह आपेक्षिक सूक्ष्म है।
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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