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________________ 4 3 211 谨 वर 座 साहू ख लुसुल मगलमन्त्र णमोकार · एक अनुचिन्तन ९७ विधि---मन्त्र सिद्ध करनेके लिए सामने धूप जलाकर रख ले तथा २४ हजार श्वेत पुष्पो पर इस मन्त्रको सिद्ध करे । एक फूलपर एक बार मन्त्र पढे । राजा, मन्त्री या किसी अधिकारीको वश करनेका मन्त्र - ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं ॐ ह्रों णमो सिद्धाणं ॐ ह्रीं णमो आइरियाणं ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं ॐ ह्रीं णमो लोए सन्नसाहूणं । अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा । विधि - पहले ११ हजार बार जाप कर मन्त्रको सिद्ध कर लेना चाहिए | जब राजा, मन्त्री या अन्य किसी अधिकारीके यहाँ जाये तो सिरके वस्त्रको २१ बार मन्त्रित कर धारण करे, इससे वह व्यक्ति वशमें हो जाता है । अमुक के स्थानपर जिस व्यक्तिको वश करना हो उसका नाम जोड देना चाहिए । महामृत्युजय मन्त्र -- ॐ हा णमो अरिहंताणं ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ॐ हृ णमो आइरियाणं ॐ हौं णमो उवज्झायाणं ॐ हृ णमो लोए सव्वसाहूणं । मम सर्वदारिष्टान् निवारय निवारय अपमृत्युं घातय घातय सर्वशान्ति कुरु कुरु स्वाहा | विधि-दीप जलाकर धूप देते हुए नैष्ठिक रहकर इस मन्त्रका स्वयं जाप करे या अन्य द्वारा करावे । यदि अन्य व्यक्ति नाप करे तो 'मम' के स्थानपर उस व्यक्तिका नाम जोड ले – अमुकस्य सर्वग्रहारिष्टान् निवारय आदि । इस मन्त्रका सवा लाख जाप करनेसे ग्रहवाधा दूर हो जाती है । कमसे कम इस मन्त्रका ३१ हजार जाप करना चाहिए । जापके अनन्तर दशाश आहुति देकर हवन भी करे । सिर, अक्षि, कर्ण, श्वास रोग एवं पादरोगविनाशक मन्त्र- ॐ ह्रीं महं णमो ओहिजिणाणं परमोहिजिणाणं शिरोरोगविनाशनं भवतु | ७
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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