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________________ ९६ मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन मन्त्रित कर चुल्लूके जलसे एक रेखा खीच दे तो अग्नि उस रेखासे आगे नहीं बढती है। इस प्रकार चासे दिशाओमें जलसे रेखा खींचकर अग्निका स्तम्भन करे। पश्चात् लोटके जलको लेकर १०८ बार मन्त्रित कर अग्निपर छींटे दे तो अग्नि शान्ति हो जाती है । इस मन्त्रका आत्मकल्याणके लिए १०८ वार जाप करनेसे एक उपवासका फल मिलता है। लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र ॐ णमो भरिहताण ॐ णमो सिद्धाण ॐ णमो आइरियाणं ॐ णमो उवज्झायाण ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं। ॐ हा ही है, हौं ह स्वाहा । विधि-मन्त्रको सिद्ध करनेके लिए पुष्य नक्षत्रके दिन पीला आसन, पीली माला और पीले वस्त्र पहनकर एकान्तमें जप करना आरम्भ करे। सवालाख मन्त्रका जाप करनेपर मन्त्र सिद्ध होता है। साधनाके दिनोंमें एक बार भोजन, भूमिपर शयन, ब्रह्मचर्यका पालन, सप्तव्यसनका त्याग, पचपापका त्याग करना चाहिए । स्वाहा शब्दके साथ प्रत्येक मन्त्रपर धूप देता जाये तथा दीप जलाता रहे। मन्त्रसिद्धिके पश्चात् प्रतिदिन एक माला जपनेसे धनकी वृद्धि होती है। सर्वसिद्धिमन्त्र (ब्रह्मचर्य और शुद्धतापूर्वक सवालाख जाप करनेसे सभी कार्य सिद्ध होते हैं ) ॐ भ सि मा उ सा नम । पुत्र और सम्पदा-प्राप्तिका मन्त्र ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं भ सि मा उ सा चल चल हुल हुलु मुल मुलु इच्छियं में कुरु कुरु स्वाहात्रिभुवनस्वामिनी विद्या ॐ हां गमो मिद्धाणं ॐ ही णमो भाइरियाणं ओ हैं, णमो अरिहन्ताणं ओ हो णमो उबमायाणं ओं हः णमो लोए सवसाहूर्ण । श्री क्लीं नम. क्षा क्षीक्षक्षे झें क्षों क्षौं क्ष स्वाहा।
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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