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________________ मगलमन्त्र णमोकार. एक अनुचिन्तन ९५ रक्ष हु फट् स्वाहा । ॐ णमो लोए सब्बसाहूण हः क्षिप्र साधय साधय वज्रहस्ते शूलिनी दुष्टान् रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा 12 रोग निवारणमन्त्र ( इन मन्त्रोको १०८ बार लिखकर रोगी के हाथपर रखने से सभी रोग दूर होते हैं । मन्त्र- सिद्ध कर लेनेके पश्चात् किसी भी मन्त्र से १०८ बार पढकर फूंक देनेसे रोग अच्छा होता है ) - ॐ णमो अरिहताण णमो सिद्धाण णमो आइरियाणं णमो उवज्झाया णमो लोए सव्वसाहूण । ॐ नमो भगवति सुभदे वयाणवार सग एव, यण जणणीये, सरस्लई ए सन्त्र, वार्हणि सवणवणे, ॐ अवतर भवतर, देवी मयसरीर वपिस पुछ, तस्स पविससत्व जण मयहरीये अरिहंत सिरिसरिए स्वाहा | सिरको पीडा दूर करनेके मन्त्र (१०८ बार जलको मन्त्रित कर पिला देने से सिर दर्द दूर होता है ) - ॐ णमो अरिहताणं, ॐ णमो सिद्धाण, ॐ नमो आइरियाणं, ॐ णमो उवज्झाया ं, ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं । ॐ णमो णाणाय, ॐ णमो दंसणाय, ॐ णमो चारिताय, ॐ ह्रीं त्रैलोक्यवश्यंकरी ह्रीं स्वाहा । बुखार, तिजारी ओर एकतरा दूर करनेका मन्त्र णमो लोए सव्वसाहूण ॐ णमो उवज्झायाण ॐ णमो आइरियाण ॐ णमो सिद्धाणं भ णमो अरिहंताण | विधि - एक सफेद चादरके एक किनारेको लेकर एक बार मन्त्र पढ - कर एक स्थानपर मोड दे, इस प्रकार १०८ बार चादरको मन्त्रित कर मोड देनेके पश्चात् उस चादरको रोगोको उढा देनेपर रोगीका बुखार उतर जाता है । अग्निनिवारक मन्त्र - ॐ णमो ॐ अहं भसि भा उसा, णमो अरिहंताण नमः विधि - एक लोटेमें शुद्ध पवित्र जल लेकर उसमें से थोडा-सा जल चुल्लू में अलग निकालकर उस चुल्लूके जलको २१ वार उपयुक्त मन्त्र से
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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